जबलपुर। तीनपत्ती के बाद शहर की एक और पहचान छोटा फुहारा का अस्तित्व भी गुरुवार को मिट गया। यातायात के बढ़ते दबाव को कम करने नगर निगम ने छोटा फुहारा की रोटरी और फुहारा हटाकर वहां मैदान कर दिया। इस दौरान मौके पर पहुंचे पूर्व महापौर कर्मचारियों पर जमकर भड़के और कार्रवाई रुकवा दी, लेकिन उनके जाते ही बचा काम रामलीला समिति पदाधिकारियों ने खड़े होकर करवा दिया।
शहर के ऐतिहासिक छोटा फुहारा को हटाने जैसे ही नगर निगम की टीम पहुंची मौके पर भारी भीड़ जमा हो गई। लोग अपना-अपना काम-धंधा छोड़कर कार्रवाई देखने जमा हो गए। हालांकि विरोध किसी ने नहीं किया और कार्रवाई शुरू हो गई। दोपहर करीब एक बजे शुरू हुई यह कार्रवाई करीब 3 घंटे तक चली। इसमें चौराहे को पूरी तरह नेस्तनाबूत कर दिया। शाम 4 बजे तक चौराहे की जगह प्लेन हो गई थी और वहां से वाहनों का आवागमन शुरू हो चुका था।
पूर्व महापौर ने रुकवा दी कार्रवाई
छोटे फुहारे को तोड़ने की कार्रवाई की सूचना मिलते ही पूर्व महापौर प्रभात साहू अपने दोपहिया वाहन से मौके पर पहुंच गए। उन्होंने कहा कि जिसने भी इसे तोड़ने के निर्देश दिए हैं उससे मेरी बात कराओ। उन्होंने कर्मचारियों को जमकर फटकारा और कार्रवाई भी रुकवा दी।
पूर्व अध्यक्ष ने फिर शुरू कराया काम
पूर्व महापौर के निकलते ही गोविंदगंज रामलीला समिति के पूर्व अध्यक्ष अनिल तिवारी भी मौके पर पहुंच गए। उन्होंने कर्मचारियों से काम शुरू करने कहा। जब तक कार्रवाई पूरी नहीं हुई वे और समिति के अन्य पदाधिकारी मौके पर ही मौजूद रहे।
दो टुकड़ों में पहुंचा छोटा फुहारा
नगर निगम अमले ने जमीन में गड़ा छोटा फुहारा निकाल तो लिया, लेकिन वह जेसीबी मशीन से भी नहीं उठ रहा था। इसलिए उसे पहले बीएसएनएल कार्यालय तक घसीटा गया फिर पटककर दो टुकड़े करने के बाद 407 में रखकर नगर निगम वर्कशॉप भेजा गया।
सुबह ही मिले तोड़ने के आदेश
दिल्ली से लौटे निगमायुक्त वेदप्रकाश ने गुरुवार की सुबह ही छोटे फुहारा तोड़ने के निर्देश दिए। उस समय तक टीम लेबर चौक में लेफ्ट टर्न की कार्रवाई करने रवाना हो चुकी थी। लेकिन आदेश मिलते ही टीम को कार्रवाई शुरू करने से पहले ही वापस छोटा फुहारा बुलाया गया।
रामलीला समिति ने दिया था पत्र
छोटा फुहारे को हटाने गोविंदगंज रामलीला समिति के पूर्व अध्यक्ष अनिल तिवारी ने महापौर को पत्र सौंपा था। इसमें उन्होंने कहा था कि छोटा फुहारा के कारण यातायात बाधित होता है इसलिए हटा दिया जाना चाहिए। इसी को आधार बनाकर नगर निगम ने गुरुवार को कार्रवाई कर दी।
1934 में बना था छोटा फुहारा
छोटा फुहारा का निर्माण 1934 में साहू समाज के चौधरी अमान वीरेन्द्र के पूर्वजों ने कराया था। इससे भी खंदारी जलाशय का पानी गिरता रहा जो कुली हिल टैंक से होते हुए पहुंचता रहा। 2013 में पूर्व महापौर प्रभात साहू ने 8 लाख की लागत से इसका जीर्णोद्घार कराया था। इसके पूर्व जो तीनपत्ती चौराहा तोड़ा गया उसे भी 2013 में 12 लाख की लागत से पुनः बनवाया गया था।
मिट गया शरह की ऐतिहासिक धरोहर छोटा फुहारा का अस्तित्व
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