भोपाल। पेंच व बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में पर्यटकों को आसानी से बाघ दिखाने के लिए बनाए जा रहे 'बाड़ों" को विवादों से बचाने के लिए वन महकमा एहतियाती कदम उठाएगा। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राध्ािकरण (एनटीसीए) की मंशा पर बन रहे इन बाड़ों के मामले में अब महकमे ने केंद्रीय चिड़ियाघर प्राध्ािकरण से भी औपचारिक अनुमति लेने का फैसला किया है।
दरअसल एक स्वयंसेवी संगठन ने एनटीसीए के समक्ष इस निर्माण का विरोध कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक पांच-पांच सौ हेक्टेयर में बन रहे बाड़े (टाइगर सफारी) चूंकि चिड़ियाघर के तहत नहीं हैं, इसलिए चिड़ियाघर प्राध्ािकरण की अनुमति की दरकार नहीं है, लेकिन इनके निर्माण में लगभग एक वर्ष लगना है और भविष्य में किसी तरह का विवाद न हो, इसलिए महकमे ने हाल में प्राध्ािकरण को अनुमति के लिए लिख दिया है। राज्य सरकार इन बाड़ों पर 15 करोड़ रुपए खर्च कर रही है। मप्र ईको टूरिज्म बोर्ड के सीईओ विनय बर्मन का कहना है कि बाड़ों का निर्माण लंबी प्रक्रिया है और इसे विवाद के चलते बाध्ाित होने से बचाने के लिए ये कदम उठाया जा रहा है। उनका कहना है कि बाड़े नियमों के तहत बन रहे हैं। इसके लिए एनटीसीए ने भी राज्य सरकार को वित्तीय मदद की पेशकश की है।
दूसरी ओर वन-पर्यावरण क्षेत्र में काम करने वाली संस्था प्रयत्न के अजय दुबे ने एनटीसीए को सात दिन में बाड़ों का निर्माण बंद कराने का कानूनी नोटिस दिया है। उनका कहना है कि एनटीसीए ने सिर्फ कान्हा रिजर्व के बाहर मेध्ााताल बीट में टाइगर सफारी बनाने की सैद्धांतिक मंजूरी दी है, अन्य दोनों रिजर्व में यह निर्माण गलत है।
जंगल पर कम होगा दबाव
एनटीसीए ने कुछ समय पहले राज्यों को कहा था कि टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में पर्यटकों का दबाव कम करने के लिए ऐसी व्यवस्था होना चाहिए कि पर्यटकों को बफर एरिया में ही बाघ दिख सकें। ज्ञात हो टाइगर रिजर्व में पर्यटक बाघ देखने के लिए कई-कई दिनों तक भटकते हैं। राज्य सरकार सबसे पहले पेंच व बांध्ावगढ़ में टाइगर सफारी (बाड़े) बना रही है। सूत्रों का कहना है कि इन बाड़ों में कुछ ऐसा बाघ लाकर रखे जा सकते हैं, जो शिकार करने में समर्थ नहीं हैं, या चिड़ियाघरों, वन विहार में हैं।
टाइगर सफारी के लिए जू-अथॉरिटी से अनुमति मांगेगी मप्र सरकार
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