इंदौर। दोपहर करीब 12.30 बजे का वक्त। बादलों की ओट से सूरज की लुकाछिपी। शीतल मंद पवन और ऐसे में आनंद शााीय संगीत का। शास्त्रीय संगीत की दक्षिण भारतीय शैली की मिठास लिए शहर में एक अद्भुत आयोजन शुक्रवार को हुआ। इसमें तालवाद्य के गंभीरनाद के साथ, तंतुवाद्य के मधुर स्वर और फूंक वाद्य की अद्भुत ध्वनि के साथ पढ़ंत का भी समावेश था।
गवर्नमेंट आर्ट्स एंड कॉमर्स कॉलेज में देश की एकमात्र घटम वादिका सुकन्या रामगोपाल ने अपने दल के साथ प्रस्तुति दी। बैंगलुरू से आई पांच महिलाओं के इस दल ने अपने वादन से संगीत मर्मज्ञों की दाद बटोरी, बल्कि इस विधा से अनभिज्ञ युवाओं के चित्त पर भी अपनी कला की अमिट छाप छोड़ी।
युवाओं की भीड़ को अपने शााीय वादन की कला से कैसे सम्मोहित करके रखना है यह इस ग्रुप को बहुत ही अच्छे से आता है। फिर चाहे वह 1 से लेकर 6 घटम का वादन करती सुकन्याजी हों या मृदंग वदिका रजनी वैंकटेश। वीणा पर योग वंदना और वायलिन पर सौम्या रामचंद्रन ने बहुत ही खूबसूरती से साथ दिया।
जुगलबंदी का माधुर्य और एकल वादन की रस
आयोजन में कई बार जुगलबंदियों का आनंद श्रोताओं को मिला। वायलिन के साथ मोरचंग, मृदंग के साथ वीणा, वायलिन के साथ घटम की जुगलबंदी खूब पसंद की गई। सुकन्याजी ने 6 घड़ों को एक साथ बजाकर यह बात साबित कर दी कि यह साज स्त्री या पुरूष विशेष के लिए ही नहीं है। बीच-बीच में उन्होंने घड़े को उछालकर भी ध्वनि निकाली, जिस पर श्रोताओं ने भी ताल दी।
बारिश के बाद बदली जगह
कॉलेज के खुले मैदान में हो रहे आयोजन के दौरान तेज बारिश आ गई। इससे कुछ देर के लिए कार्यक्रम रूक गया। इस पर आयोजकों ने आननफानन में नई व्यवस्था करते हुए सभागार में आयोजन करना तय किया। इसका सकारात्मक असर यह हुआ कि बंद कमरे में साजों की आवाज और भी निखरकर सुनाई दी। प्रस्तुतियां अपने पूरे जोर पर थी कि अचानक वादन के दौरान मोरचंग टूट गया। ऐसे में वादिका भाग्यलक्ष्मी ने स्थिति को कुछ इस तरह संभाला की श्रोता वादन के रुकने की वजह समझ ही नहीं सके।
घटम का नाद, वायलिन और वीणा की गूंजी स्वर लहरियां
आपके विचार
पाठको की राय