जबलपुर। गन कैरिज फैक्टरी (जीसीएफ) में बनी स्वेदशी 155 एमएम धनुष तोप को सेना के सभी परीक्षणों में खरी उतरने के बाद केंद्रीय रक्षा मंत्री का इंतजार कर रही है। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के आते ही तोप का उत्पादन जीसीएफ में विधिवत प्रारंभ हो जाएगा। दरअसल, धनुष 155 एमएम देश की पहली स्वदेशी तोप है जिसका सैन्य क्षमता बढ़ाने के लिहाज से खासा महत्व है। स्विडिस बोफोर्स तोप की तकनीक पर आधारित इस तोप का महत्व सेना ने कारगिल युद्ध के दौरान ही समझ लिया था। इसी वजह से धनुष को सेना के बेडेÞ में शामिल करने की अधिकृत घोषणा रक्षा मंत्री द्वारा की जाएगी।
जानकारी के मुताबिक पहले चरण में 114 से 200 धनुष तोपें बनायी जाएंगी। आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी कोलकत्ता) ने तोप के उत्पादन से संबंधित सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं। गन कैरिज फैक्टरी धनुष को आकार (असेंबल) करने में अहम भूमिका निभाएगी। फिलहाल जीसीएफ में 6 तोपों पर काम चल रहा है। वहीं इससे जुडेÞ कई महत्वपूर्ण उपकरण देश की विभिन्न आयुध निर्माणियों में बनाए जा रहे हैं। इन सबके बीच महत्वपूर्ण बात यह कि तोप को आकार देने जीसीएफ को अभी तक इंडेन्ट नही मिला है। इसके पीछे मुख्य कारण केंद्रीय रक्षा मंत्री के प्रस्तावित दौरा बताया जा रहा है। जनवरी माह में रक्षा मंत्री का कार्यक्रम लगभग तय होने के बाद अंतिम समय में रद्द हो गया था।
सेना की सभी 12 कमांड को दी जाएगी
बताया जाता है कि पिछले दिनों जीसीएफ आए सैन्य अधिकारियों ने धुनष तोप की उत्पादन प्रक्रिया का जायजा लिया था। पहले चरण में 155 एमएम धनुष तोप 114 से 200 के करीब बनायी जाएगी। भारतीय सेना 155 एमएम आर्टिलरी गन का इंतजार तीस वर्षों से कर रही है। लिहाजा तोप को सेना के सभी 12 कमांडो को सौंपा जाएगा। कानपुर बनाएगा बैरल
वहीं दूसरी तरफ155 एमएम तोप के उत्पादन में सहयोगी निर्माणी कानपुर तो बैरल उत्पादन के काम में जुट गई है। उसे ओएफबी (कोलकत्ता) से 114 बैरल का इंडेन प्राप्त हो गया है। बैरल धनुष तोप का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है।
कानपुर बनाएगा बैरल
वहीं दूसरी तरफ155 एमएम तोप के उत्पादन में सहयोगी निर्माणी कानपुर तो बैरल उत्पादन के काम में जुट गई है। उसे ओएफबी (कोलकत्ता) से 114 बैरल का इंडेन प्राप्त हो गया है। बैरल धनुष तोप का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है।
‘धनुष ’ को अब पर्रिकर का इंतजार !
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