भिण्ड : कभी शिक्षा देना मिशन हुआ करता था लेकिन अब शिक्षा माफिया ने इसे धंधा बना लिया है शिक्षा माफिया अधिकारियों की सांठगांठ के चलते नियमों को ठेंगा दिखा रहे है। निरीक्षण के नाम पर हर वर्ष खाना पूर्ति भर होती है। क्षेत्र के कई शिक्षा माफिया कंगाल से करोड़पति बन चुके है। बदहाली यह है कि मान्यता प्राइमरी और मिडिल की है और विद्यालय में हाईस्कूल और हायर सेकडरी के छात्रों को भी डंके की चोट पर एडमीशन दिया जा रहा है और भी पास कराने की गारंटी के साथ। कई विद्यालयों में बैठने के लिए छत भी नहीं है, जबकि दर्ज छात्रों की संख्या सैकड़ों में है। पास कराने की गारंटी के साथ प्रवेश दिए जाने से शासकीय स्कूलों में सन्नाटा छाया रहता है, जबकि प्राइवेट स्कूल दिन-प्रतिदिन आबाद होते जा रहे हैं।
शिक्षा के प्रति ऐसी ही उदासीनता रही तो वो दिन दूर नहीं, जब शिक्षा की गुणवत्ता तार-तार हो जाएगी। प्राइवेट स्कूलों का नियमों को ध्यान में रखकर निरीक्षण किया जाए तो मान्यताएं उगलियों पर गिनने लायक विद्यालयों पर ही रहेगी। 90 फीसदी विद्यालयों की मान्यता शर्तों के उल्लंघन के आरोप में रदद् करनी पड़ सकती है। निजी स्कूल संचालक मान्यता 5 वीं, 8 वीं की रखते है और प्रवेश दसवीं, बारहवी तक के कराते हैं। ऐसे गैरकानूनी प्रक्रियाओं को न तो प्रशासन देख रहा है अ‍ैर न ही शिक्षा विभाग के आला अफसर ।
यहां तक इन निजी स्कूलों द्वारा फर्जी अनुभव प्रमाण-पत्र बनाने का कार्य निर्विध्न रूप से किया जाता है। अगर इनके शिक्षण वर्षवर रजिस्टरों की जांच  की जाए तो प्रतिवर्ष नए शिक्षकों की नियुक्तियां दर्शाकर डीएड, बीटीआई के आवेदन के साथ लगने वाले फर्जी अनुभव प्रमाण-पत्र जारी कर शिक्षा विभाग के नियमों की धज्जियां उड़ाने में लगे हैं। शिक्षा विभाग और प्रशासन इन शिक्षा माफियाओं के खिलाफ आज तक किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं कर पाया है। अगर शिक्षा विभाग के नियमावली की बात की जाए तो शासकीय तथा गैर शासकीय स्कूलों के लिए कम से कम एक बीघा जमीन के अनुसार कमरे, खेल, मैदान, शौचालय, लाइबे्ररी,, विद्युत व्यवस्था, शुद्धपेय जल की व्यवस्था इत्यादि का माकूल प्रबंध होना अति आवश्यक है, किन्तु जिले  में संचालित निजी स्कूलों के लिए उच्च  भवनों के स्थान पर एक-दो क मरों में बिना मान्यता के 8 वीं, 12 वीं की  कक्षाए लगाकर अवैध रूप से शिक्षा की दुकानें चल रही है नियमानुसार जिला अधिकारी कार्यालय की ओर से प्रतिवर्ष मान्यता प्राप्त स्कूलों की सूची जारी होनी चाहिए, लेकिन इस बार जुलाई माह  में अब तक मान्यता प्राप्त स्कूलों की सूची जारी नहीं की गई है, जिससे अभिभावक ही नहीं छात्र भी भ्रमित हैं, उन्हें परीक्षा के समय ही पता चलता है।  तब तक काफी देर हो चुकी होती है।