पटना: बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष नंदकिशोर यादव ने कहा कि विधान सभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के मुख्यमंत्री पद के उममीदवार के नाम को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विरोधी बेचैन न हों. यहां चेहरे को लेकर जनता दल यूनाइटेड (जदयू) - राष्ट्रीय जनता दल (राजद) - कांग्रेस गठबंधन की तरह किसी को जहर पीने की नौबत नहीं आएगी।
यादव ने यहां कहा कि इन दिनों जदयू-राजद-कांग्रेस गठबंधन को इस बात की चिंता कुछ ज्यादा ही सता रही है कि भाजपा का मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा, राजग की ओर से मुख्यमंत्री का दावेदार कौन होगा। उन्होंने कहा कि वह उन्हें बता देना चाहते हैं कि उन्हें इसे लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं है। भाजपा लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर चलने वाली एक अनुशासित पार्टी है।
इस वक्त भाजपा का मकसद बिहार को कुशासन से मुक्ति दिलाना है और एकजुट राजग को इसमें जनता का पूरा समर्थन हासिल है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि चुनाव करीब आते ही जदयू सुप्रीमो को अचानक सूबे की ठप पड़ी योजनाओं के शिलान्यास और उदघाटनों की याद आ गई है। हर दिन पटना में बैठे-बैठे वे करोड़ों रुपए की योजनाओं का उदघाटन कर रहे हैं। दो साल से उन्हें बिहार के विकास और जन कल्याण योजनाओं की एक बार भी याद नहीं आई।
उन्होंने कहा कि सरकार योजनाओं को अमल में लाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से मिली राशि खर्च तक नहीं कर पाई और अब चुनाव के बचे महीने- दो महीने में जदयू सुप्रीमो जनता की आंखों में धूल झोंकने में जुटे हैं। यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री ने दो साल से बिहार में सिर्फ अपनी सत्ता बचाए रखने की योजना के अलावा किसी दूसरी योजना के बारे में सोचा भी नहीं। जदयू सुप्रीमो सरकार का रिपोर्ट कार्ड पेश करना चाहते हैं, लेकिन दो साल में कुछ उपलब्धि तो हासिल कर नहीं पाए, ऐसे में उन्होंने जनता को बरगलाने के लिए पुराने फार्मूले को आजमाया है।
उन्होंने कहा कि वैसे भी इन दिनों उन्हें कोई भी कदम उठाने से पहले दूसरों से निर्देश लेना पड़ता है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि बिहार की जनता सब समझ रही है, किसी को बताने की जरूरत नहीं कि जब पहले से चल रही योजनाओं का निर्माण आधा-अधूरा ही हो पाया है तो नई योजनाओं के शिलान्यास का मकसद क्या है। उन्होंने कहा कि सरकार बताये कि खुद मुख्यमंत्री के नाम से चलने वाली योजनाएं क्यों बदहाली का शिकार है, करोड़ों रुपए लगाने के बावजूद क्यों ठप हैं, अस्पतालों में मुफ्त दवाओं की गरीब हित की योजना क्यों दम तोड़ रही है और गांव-गांव बिजली पहुंचाने की योजना का क्या हुआ ।