1 ही दिन में 14 जगह वाटर लाइन बर्स्ट
प्रदेश टुडे संवाददाता, ग्वालियर : करीब 210 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट उदय सालों बाद भी शहर की जनता के लिए मुसीबतों का सबब बना हुआ है। भ्रष्टाचार के तमाम संगीन आरोपों से घिरे रहे इस प्रोजेक्ट के विभिन्न पैकेजेज में बनाई गई टंकियों और शहर में बिछाई गई पाइपलाइन्स का जनता को अब तक पूरी तरह लाभ नहीं मिल पा रहा। आए दिन वाटर लाइन बर्स्ट होने से कभी गंदा पानी तो कभी जल संकट के हालातों से शहर की जनता त्रस्त है। वहीं एडीबी प्रोजेक्ट के इस डंक से पीएचई महकमा भी बुरी तरह हलाकान है।
गौरतलब है कि शहर की पेयजल व्यवस्था को सुचारु व दुरुस्त बनाने के लिए एडीबी परियोजना के तहत नगरनिगम परिषद के वर्ष 2004-2009 तक के कार्यकाल में प्रोजेक्ट उदय को हरी झंडी दी गई थी। करीब 10 साल बाद भी शहर की बड़ी आबादी को इस प्रोजेक्ट का लाभ नहीं मिल पा रहा। विगत दिवस ऐसी ही घटना वार्ड 58 में हुई है, जहां चेतकपुरी टंकी से सप्लाई वाले माधवनगर, विजयानगर, हरीशंकर पुरम्, विवेक विहार आदि इलाकों में एक ही दिन में 14 जगह वाटर लाइन बर्स्ट हुई हैं।
प्रेशर नहीं झेल पा रही लाइनें
एडीबी से भारी भरकम कर्जा लेकर चलाए गए प्रोजेक्ट उदय का काम कितना घटिया है, इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हर महीने टंकियां भरने वाली मैन लाइनें फटने का औसत आंकड़ा 1-2 से बढ़कर 3-4 हो गया है। वहीं डिस्ट्रीब्यूशन लाइनों के बर्स्ट होने का औसत भी 8-9 से बढ़ते हुए 15-18 के बीच चल रहा है।
परिषद ने सर्वसम्मति से लिया था जांच का फैसला
भ्रष्टाचार के तमाम आरोपों के घेरे में रहे प्रोजेक्ट उदय की जांच कराने के लिए तत्कालीन निगम परिषद ने सर्वसम्मत्ति से निर्णय लिया था। इसके बावजूद इस गंभीर मामले को आज तक न तो जांच के लिए शासन को भेजा गया और न ही पुनर्विचार के लिए परिषद की ओर ही वापस भेजा गया। इससे आरोपों की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
आए दिन मुसीबत का सबब
- विभिन्न इलाकों में क्षतिग्रस्त लाइनों के कारण अक्सर गंदा पानी सप्लाई होने की शिकायतें
- पंपिंग मैन आए दिन बर्स्ट होने से कई बार खाली रहती हैं टंकियां, जनता झेलती जल संकट
- विवादों में रहा प्रोजक्ट
- भारी भ्रष्टाचार को लेकर तीसरे कार्यकाल तक गरमाती परिषद
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भ्रष्टाचार और घटिया गुणवत्ता को लेकर कई अधिकारी नपे
इनका कहना है
प्रोजेक्ट उदय निगम परिषद के भ्रष्टाचारों का ताबूत है। एडीबी से कर्जा लेकर इस परियोजना पर 210 करोड़ की भारी भरकम राशि व्यय किए जाने के बाद भी कहीं जनता पेयजल संकट से जूझ रही है, तो कहीं गंदे पानी का संकट सता रहा है।
आनंद शर्मा, पूर्व पार्षद
टंकियों से पानी की सप्लाई के दौरान थोड़ा प्रेशर बढ़ते ही लाइनें बर्स्ट हो जाती हैं। बीते रोज चेतकपुरी टंकी से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों में एक साथ लाइनें फटने का कारण भी यही बताया जा रहा है। लाइनों की मरम्मत का काम जारी है।
एपीएस भदौरिया
कार्यपालन यंत्री