जबलपुर : आकाश मंडल में आज उच्च राशि के चंद्रमा पर शनिदेव की नजरें लगी होने से प्रवर्ध नामक शुभ योग बना हुआ है। आज 13 जुलाई सोमवार की दोपहर एक बजे रोहिणी नक्षत्र में आए चंद्र्रदेव पर शनि की नजर पड़ने से यह दुलर्भ संयोग बना है। इसके बाद चंद्रमा मृगशिरा नक्षत्र में आ जाएगा इससे आनंद नामक एक और शुभ योग बन जाएगा। भारतीय ज्योतिष के मुताबिक ये दोनो ही योग आम जातक को शुभ फल प्रदान करेंगे जिससे लोगों को धन लाभ के अलावा चल रहीं कुछ परेशानियों का निदान भी हो सकेगा। खुशखबरी देने बने इन योग का प्रभाव आगामी चार दिनों तक रहने वाला है। हालांकि शनि की पूरी नजर वृष राशि के चंद्रमा पर होने से विष योग भी बना हुआ है जिससे कुछ जातकों को मानसिक तनाव और परेशानियां भी बनी रहेंगी। कुल मिला कर कहा जाए तो यह ग्रह योग सभी 12 राशियों पर मिला जुला असर डालेंगे।

आज से 4 दिन तक शुभ योग
पुरुषोत्तम मास का समापन 16 जुलाई को होगा। इस मास के आखिरी 4 दिनों में कई शुभ योग और पर्वों का संयोग बन रहा है। यही कारण है कि ज्योतिषियों और पंडितों ने इन चार दिनों को पूजा और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के लिए खास माना है। पं. रामकृष्ण पांडे के अनुसार 13 जुलाई को प्रदोष और 14 को शिव चतुर्दशी है। इसके बाद 15 जुलाई को श्राद्ध अमावस्या है। इस दिन पितरों को तर्पण करने का विधान है, जबकि 16 जुलाई को पुरुषोत्तम मास का अंतिम दिन है। गुरुवार को दोपहर 2.57 बजे से गुरु पुष्य नक्षत्र योग प्रारंभ होगा, जो अगले दिन शुक्रवार को शाम 4.19 बजे तक रहेगा। गुरुवार को ही सूर्योदय से रात 12.15 बजे तक सर्वार्थ सिद्धि व दोपहर 2.56 बजे से अमृत सिद्धि योग प्रारंभ होगा। यह रात 12.18 बजे तक रहेगा।

17 से गुप्त नवरात्रि
हिंदू धर्म के अनुसार, एक साल में चार नवरात्रि होती है, लेकिन आम लोग केवल दो नवरात्रि (चैत्र व शारदीय नवरात्रि) के बारे में ही जानते हैं। इनके अलावा आषाढ़ तथा माघ मास में भी नवरात्रि का पर्व आता है, जिसे गुप्त नवरात्रि कहते हैं। इस बार आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा (17 जुलाई, शुक्रवार) से होगा, जो आषाढ़ शुक्ल नवमी (25 जुलाई शनिवार) को समाप्त होगी।

दो अच्छे ग्रह योग के बावजूद सोमवार कुछ जातकों के लिए परेशानी देने वाला रहेगा ऐसा इसलिए क्योंकि शनि की पूरी नजर वृष के चंद्रमा पर होने से विष योग भी बन रहा है। वहीं आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि में वामाचार पद्धति से उपासना की जाती है।
ज्योतिषचार्य, पंडित  रामकृष्ण पांडे