भोपाल। व्यापमं घोटाले की सीबीआई से जांच करवाने के मुद्दे पर लगभग डेढ़ साल से न मध्यप्रदेश सरकार झुकने को तैयार थी और न ही भारतीय जनता पार्टी। विधानसभा से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक सिर्फ सीबीआई जांच की मांग को लेकर कांग्रेस अड़ी हुई थी। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक ही दिन पहले सोमवार को सीबीआई जांच की मांग को खारिज किया था।
फिर आखिर 24 घंटों में ऐसा क्या हुआ कि शिवराज सरकार ने यू-टर्न ले लिया। जनभ्ाावनाओं के सम्मान के नाम पर खुद राज्य सरकार ने हाईकोर्ट से सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों के मन में संदेह उठा है इसलिए वे ये कदम उठा रहे हैं। पर सवाल ये है कि ये विचार अचानक क्यों आया।
स्पष्ट है कि मंगलवार को ठीक साढ़े 10 बजे सुप्रीम कोर्ट ने व्यापमं घोटाले की सीबीआई से जांच करवाने की चार याचिकाएं एकसाथ स्वीकार कर ली। ये संदेश प्रदेश सरकार के लिए पर्याप्त था। तब सरकार ने आनन-फानन में अपने सलाहकारों को बुलाया और राष्ट्रीय स्तर पर किरकिरी से बचने के लिए व्यापमं घोटाले की सीबीआई से जांच करवाए जाने के लिए सहमति दे दी।
इसके पीछे वजह ये थी कि सरकार ये कदम नहीं उठाती और 9 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट कोई आदेश इस दिशा में दे देता तो सरकार के लिए भारी मुश्किलें खड़ी हो जातीं। इससे बचने का ही यह रास्ता है। इससे शिवराज को जो नुकसान होता वो तो अलग बात है, इसका पूरा क्रेडिट कांग्रेस को मिल जाता।
कांग्रेस तब खुलकर मुख्यमंत्री को घेर सकती थी। अंदरूनी तौर पर भी शिवराज के खिलाफ पार्टी नेताओं के विरोधी स्वर बुलंद हो जाते। इस सबसे बचने और तात्कालिक तौर पर राहत पाने के लिए शिवराज सरकार के पास कोई विकल्प नहीं बचा था। उच्च पदस्थ सूत्र तो ये भी दावा कर रहे हैं कि सरकार द्वारा दिए गए आवेदन पर अधिकांश मामलों की जांच पूरी होने के कारण उसका आवेदन खारिज कर दिया जाए ।
अब इसकी सही दिशा तो 9 जुलाई को ही तय होगी। व्यापमं घोटाले की सीबीआई से जांच की अनुमति मिली भी तो ये तय है कि सरकार का संकट टलने वाला नही है। एक मांग खत्म होगी तो फिर नई मांग शुरू हो जाएगी। जांच को प्रभावित करने के नाम पर फिर एक नया पॉलीटिकल ड्रामा खड़ा हो जाएगा।
बीजेपी बोली- मुख्यमंत्री ने निभाया राजधर्म
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा व्यापमं घोटाले की जांच सीबीआई से कराने के निर्णय पर प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने कहा कि सीएम ने राजधर्म निभाया है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में लोकलाज का स्थान ऊंचा होता है, इसलिए जन भावनाओं को समझते हुए सीएम ने ये निर्णय लिया। हालांकि एसटीएफ अपना काम पूरी तत्परता और ईमानदारी से कर रही है।
बीजेपी के प्रदेश महामंत्री अरविंद भदौरिया ने कहा कि यह साहसिक और प्रशंसनीय कदम है। इस मामले की जांच शुरू कराने की पहल भी मुख्यमंत्री चौहान ने ही की थी। भदौरिया ने कांग्रेस पर दुष्प्रचार का आरोप लगाया। बीजेपी प्रवक्ता विजेन्द्र सिंह सिसोदिया और विश्वास सारंग ने निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने सीबीआई को जांच सौंपने की अनुशंसा कर कांग्रेस को निस्र्त्तर कर दिया।
शिवराज ने किरकिरी से बचने के लिए निकाला रास्ता
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