बेंगलुरु : व्यापमं घोटाले से ‘जुड़ी’ रहस्यमयी मौतों पर मध्य प्रदेश सरकार की ‘असंवेदनशीलता’ की आलोचना करते हुए आरएसएस के वरिष्ठ विचारक एन गोविंदाचार्य ने कहा कि केंद्र सरकार को इसका संज्ञान लेना चाहिए और मामले में उच्चतम न्यायालय को भी संज्ञान लेना चाहिए।

बेंगलुरु के प्रेस क्लब में उन्होंने कहा कि मुद्दे को लेकर सरकार के गैरजिम्मेदाराना रवैये पर मुझे बहुत दुख हो रहा है, केंद्र सरकार को संज्ञान लेना चाहिए और निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए उच्चतम न्यायालय को स्व: संज्ञान लेना चाहिए। गोविंदाचार्य ने कहा कि मामले में मध्य प्रदेश सरकार के ‘गैरजिम्मेदार रवैये’ पर वह दुखी हैं और संवेदनहीन तरीके से मामले से निपटा गया है।

उन्होंने कहा कि संवेदनहीन तरीके से इससे निपटा गया है। मारे गए लोगों के प्रति कोई भावुकता नहीं दिखाई गई, सरकार की तरफ से सबसे दुखद चीज है कि उसने संवेदनशीलता नहीं दिखाई। आरएसएस विचारक ने कहा कि पार्टी के महासचिव के गैरजिम्मेदार बयान में असंवेदनशीलता और अशिष्टता दिखाई दी। उन्होंने कहा कि उदाहरणस्वरूप, अक्षय सिंह मामले में पार्टी के एक महासचिव का बयान, गैरजिम्मेदाराना बयान है। जांच की जिम्मेदारी स्वतंत्र संस्था को सौंपने में मध्यप्रदेश सरकार क्यों हिचकिचा रही है इस बारे में पूछे जाने पर गोविंदाचार्य ने कहा कि उन्हें कोई वजह नहीं दिखता कि इसे क्यों नहीं सौंपा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता कि मध्यप्रदेश को क्या अड़चन है क्योंकि मुझे कोई वजह नजर नहीं आती कि इसे क्यों हवाले नहीं किया जाना चाहिए।

गोविंदाचार्य ने कहा कि न्याय एसआईटी जांच से नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि न्याय जरूरी है और इस तरह की जांच से न्याय नहीं हो सकता, वहां पर तनाव का माहौल है और बेहतर होगा कि इससे एक स्वतंत्र संस्था निपटे और मुझे लगता है कि उच्चतम न्यायालय इसे कर सकता है। लोकपाल कार्यालय में कथित वसूली गिरोह को लेकर कर्नाटक लोकायुक्त विवाद पर गोविंदाचार्य ने कहा कि न्यायमूर्ति भास्कर राव को स्वत: ही इस्तीफा दे देना चाहिए क्योंकि यह नैतिकता का तकाजा है।