विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सोमवार शाम को कहा कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा बदलेगी और कोर्ट से पूछेगी कि क्या सरकार इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय अदालत में ले जा सकती है. स्वराज ने कहा - "अगर सर्वोच्च न्यायलय हमें अंतरराष्ट्रीय कोर्ट जाने के लिए कहती है तो हम वहां जाकर अपनी बात रखेंगे."
हालांकि पनी मजबूरी बताते हुए सुषमा स्वराज ने कहा कि सरकार इस मामले को सीधे इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में नहीं ले जा सकती है. 'क्योंकि भारत और पाकिस्तान कॉमलवेल्थ के देश हैं. इसमें एक प्रावधान है कि कॉमनवेल्थ के देश एक-दूसरे के खिलाफ कम्पल्सरी जूरिडिक्शन का इस्तेमाल नहीं कर सकते. अपने विचार को बदलते हुए सरकार की तरफ से कहा गया कि सौरभ कालिया को जो यातनाएं दी गई हैं, वह एक अपवाद वाली स्थिति निर्मित करती है. इसलिए हम सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा बदलें और सुप्रीम कोर्ट से पूछें कि इन प्रावधानों को देखते हुए भी क्या भारत इस तरह के अपवाद वाली स्थितियों में इंटरनैशल कोर्ट ऑफ जस्टिस जा सकता है. यदि सुप्रीम कोर्ट हां करता है तो हम इस मामले को इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस तक ले जाएंगे.'
इससे पहले 16 साल बाद एनडीए सरकार ने संसद में कहा है कि अंतर्राष्ट्रीय अदालत में कैप्टन सौरभ कालिया पर हुए पाकिस्तानी अत्याचार के खिलाफ अपील करना संभव नहीं है. मोदी सरकार ने कहा है कि अंतर्राष्ट्रीय अदालत में मामले को ले जाना प्रैक्टिकल नहीं है.1999 में शहीद कालिया के परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने ऐसी मांग की थी कालिया के पिता एनके कालिया ने सुप्रीम कोर्ट से इसकी मांग की थी.
करगिल युद्ध के समय 15 मई 1999 को कैप्टन सौरभ कालिया पाकिस्तान के चंगुल में फंस गए थे. पाकिस्तान ने सौरभ कालिया को यातनाएं दी थीं और आखिरकार देश के लिए शहीद हुए थे. उसी साल नौ जून को जब पाकिस्तान ने सौरभ का शव भारत को सौंपा था तब देश गुस्से में था. पाकिस्तान ने युद्धबंदी सौरभ कालिया के साथ अंतर्राष्ट्रीय संधि के मुताबिक बर्ताव नहीं किया था.
पिछले साल यूपीए सरकार ने भी इससे इनकार किया था. यूपीए सरकार ने कहा था कि ये ध्यान में रखना होगा कि पाकिस्तान हमारा पडोसी देश है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार से 25 अगस्त तक हलफनामा मांगा है.
सौरभ कालिया के पिता डॉक्टर एन के कालिया ने कहा है, "जब तक सांसे चलती रहेंगी, इस मुद्दे को उठाते रहेंगे. ये हमारी जितनी भी सेना है उसके मान सम्मान का प्रश्न है."
सौरभ की मां का कहना है कि ये लड़ाई तब तक जारी रहेगी जब तक वे जीएंगी.
कौन थे सौरभ कालिया-
सौरभ कालिया 4 JAT रेजीमेंट के अफसर थे. करगिल में तैनाती के बाद पांच मई 1999 को अपने पांच साथियों अर्जुन राम, भंवर लाल, भीखाराम, मूलाराम, नरेश के साथ लद्दाख की बजरंग पोस्ट पर पेट्रोलिंग कर रहे थे. तभी पाकिस्तानी सेना ने सौरभ कालिया और उनके साथियों को बंदी बना लिया.
22 दिन तक इन्हें बंदी बनाकर रखा गया और अमानवीय यातनाएं दी गईं. उनके शरीर को गर्म सरिए और सिगरेट से दागा गया. नौ जून 1999 को इनके शव भारतीय अधिकारियों को सौंपा गया. सौरभ की मौत के 15 दिन बाद उनके परिवार को उनका शव सौंपा गया. सौरभ के परिवार ने भारत सरकार से इस मामले को लेकर पाकिस्तान सरकार और इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में मामला उठाने की बात कही थी.
पाकिस्तानी वीडियो क्लिप इंटरनेट पर जारी
दरअसल सोशल मीडिया पर एक वीडियो क्लिप मिली है जिसमें पाकिस्तानी सेना का एक जवान गुलेखानदान फक्र से ये बता रहा है कि कैसे सौरभ कालिया को यातनाएं दी गईं. पाकिस्तान ने कभी भी सौरभ को यातना देने की बात नहीं मानी. अब उसी वीडियो क्लिप को पाकिस्तान को सबूत बताकर कार्रवाई की मांग एनके कालिया कर रहे हैं.
संसद में सांसद राजीव चंद्रशेखर ने सरकार से सवाल पूछा था. राजीव ने अंतर्राष्ट्रीय अदालत में अपील भी की है लेकिन सरकारों का रवैया उदासीन है इसलिए कुछ हो नहीं रहा है
जागी शहीद सौरव कालिया के न्याय की उम्मीद, SC में हलफनामा बदलेगी सरकार
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