पटना : बिहार में जेडी (यू) और आरजेडी के बीच चुनाव से पहले का गठबंधन मुश्किल नजर आ रहा है। दरअसल, संभावित गठबंधन के नेता के तौर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पेश किए जाने पर आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव को आपत्ति है। जनता परिवार के एकीकरण का अभियान परवान नहीं चढ़ने के कारण नीतीश कुमार आरजेडी के साथ चुनावी गठबंधन को लेकर इच्छुक थे, लेकिन यादव गठबंधन के नेतृत्व पर किसी तरह का समझौता करने को तैयार नहीं हैं, जिससे दोनों नेताओं के गठबंधन पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं।
राम गोपाल यादव समेत समाजवादी पार्टी के एक तबके ने तकनीकी कारणों से बिहार विधानसभा चुनावों तक विलय का विरोध किया था। इस राय का आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव ने भी समर्थन किया था। मुलायम सिंह यादव के विलय के इस मसले पर किसी तरह का स्पष्टीकरण नहीं दिए जाने से संकेत मिल रहे हैं कि एकीकरण का अभियान फिलहाल ठंडे बस्ते में चला गया है।
साथ ही, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को बीजेपी विरोधी मोर्चा में शामिल होने के आरजेडी सुप्रीमो के ओपन ऑफर से भी कुमार को झटका लगा। जेडी(यू) के एक सीनियर नेता ने बताया, 'यह हमारे लिए चिढ़ाने वाली बात है। मांझी जी को न्योता देकर लालूजी ने साफ संकेत दिए हैं कि वह पूर्व मुख्यमंत्री के साथ नीतीश कुमार की कीमत पर भी गठबंधन करने को तैयार हैं। दरअसल, मांझीजी का नाम पेश कर लालूजी मुख्यमंत्री नीतीश जी को आतंकित कर रहे थे।'
जेडी(यू) और आरजेडी के बीच गठबंधन इस चुनावी राज्य में बीजेपी को रक्षात्मक मुद्रा में ला सकता है। एक राष्ट्रीय न्यूज चैनल के सालाना सर्वे के मुताबिक, जेडी(यू)-आरजेडी-कांग्रेस गठबंधन के राज्य की कुल 243 विधानसभा सीटों में से 127 सीटों पर जीत हासिल होने की संभावना है। हालांकि, ये दल अगर अलग-अलग चुनाव लड़ते हैं, तो बीजेपी की अगुवाई वाला एनडीए गठबंधन विजेता बनकर उभरेगा और उसे 126 सीटें मिल सकती हैं और जेडी(यू) को 66, आरजेडी को 42 और कांग्रेस को 2 सीटें मिलने की संभावना होगी।
जेडी(यू) प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा, 'यह सबको पता है कि बीजेपी विलय और जेडी(यू)-आरजेडी गठबंधन में गड़बड़ी फैलाने की कोशिश कर रही है। वह अपने तमाम संसाधनों के जरिये यह सुनिश्चित करने में जुटी है कि बिहार में सेक्युलर गठबंधन नहीं हो। मैं यह दोहराना चाहूंगा कि हम नेतृत्व के सवाल पर किसी तरह का समझौता नहीं कर सकते। गठबंधन को नीतीशजी को पहले सीएम घोषित करना होगा।'