नई दिल्ली़। शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' ने एक बार फिर योगगुरु बाबा रामदेव के जरिए केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला है। सामना में कहा गया है कि कांग्रेस के भ्रष्ट कामकाज की बखिया उधेरने वाले रामदेव की भाषा आजकल थोड़ी बदली नजर आ रही है।

सामना का कहना है कि सरकार का एक साल पूरा हो रहा है। इसके लिए जो आतिशबाजी शुरू हुई है उसमें पटाखों की एक लड़ी बाबा रामदेव ने भी लगाई है। बाबा कहते हैं, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अच्छे आदमी हैं, लेकिन उनके मंत्रिमंडल के कुछ मंत्री उदंड और बेलगाम हो गए हैं।' राहुल गांधी के बारे में भी बाबा रामदेव की राय बदली हुई है। उनका कहना है कि कांग्रेस नामक मुर्दे में जान फूंकने में राहुल यशस्वी हुए हैं और राहुल का आक्रामक प्रचार कांग्रेस के लिए लाभदायक सिद्ध हो रहा है।

रामदेव ने एक प्रकार से कांग्रेस की पटरी से उतरी हुई गाड़ी को फिर से पटरी पर आने का प्रमाणपत्र दे दिया है। भूमि अधिग्रहण कानून के बारे में भी बाबा ने शिवसेना की भूमिका पर मोहर लगाने का काम किया है। उनका कहना है कि भूमि अधिग्रहण किसानों की इच्छा के विपरीत नहीं किया जा सकता है। किसानों की समस्या कुछ अलग है।

किसानों को सस्ती बिजली मिलनी चाहिए, उन्हें खाद और बांधों से पानी मिलना चाहिए। उन्हें कृषि उत्पादों का न्यूनतम समर्थन मूल्य हासिल होना चाहिए। लेकिन ये आवश्यक समर्थन किसानों को नहीं मिल रहा है। परिणामस्वरूप अन्नदाता किसान पर बंधुआ मजदूर अथवा अकुशल कामगार की तरह जीने की नौबत आ गई है। उनके साथ इस तरह का दुर्व्यवहार नहीं होना चाहिए।

बाबा रामदेव का कहना है कि किसानों की भारी दुर्दशा किसानों के हित में नहीं है। बाबा ने एक और महत्वपूर्ण सवाल को रेखांकित किया है। उन्होंने इस बाबत सवाल पूछा है कि सरकार में अाते ही कैसे तमाम लोगों ने अपने-अपने फोन नंबर बदल लिए। रामदेव ने मोदी सरकार के बारे में जो कुछ कहा, यदि वह सच है तो क्या मोदी सरकार को आत्मविश्लेषण नहीं करना चाहिए।

मुखपत्र में कहा गया है कि बाबा रामदेव जैसे कई लोगों ने कांग्रेस को सत्ता से बाहर करने के लिए अपार परिश्रम किया। कालेधन के खिलाफ आंदाेलन में रामदेव अग्रणी थे। इधर एक साल में बाबा का सुर बदला है। संपादकीय में लिखा गया है कि हालांकि जनता ने मोदी सरकार को पांच साल के लिए चुना है, इसलिए काम का हिसाब एक साल में मांगना ठीक नहीं होगा। चाहे बाबा रामदेव की जो भी नाराजगी हो, सरकार को उसे दूर करना चाहिए। उन्हें सत्ता की कोई आवश्यकता नहीं, परंतु आज जो सत्ता है उसमें उनके पसीने की भी दो-चार बूंदें तो निश्चित तौर पर हैं।