क्लेटन मुर्जेलो, मुंबई। 1971 में ओवल में रे इलिंगवर्थ की इंग्लिश टीम के खिलाफ विजयी चौका लगाने वाले एस आबिद अली रविवार की सुबह कैलिफोर्निया (अमेरिका) में अपने घर पर काफी निराश थे। आबिद अली को उसी समय खबर मिली थी कि लंदन के उसी मैदान पर भारतीय क्रिकेट ने शर्मनाक ढंग से समर्पण कर दिया, जहां उन्होंने 43 साल पहले अपने करियर की यादगार पारी खेली थी।

रविवार की रात उन्होंने फोन पर कहा, 'यह बेहद निराशाजनक प्रदर्शन था। इनको देखकर कहीें से भी नहीं लग रहा था कि खिलाडिय़ों में जूझने की क्षमता है। लगता है कि लॉड्र्स की जीत के बाद हमारे खिलाड़ी आत्ममुग्धता का शिकार हो गए, जैसा की भारतीय टीम के साथ अक्सर होता है। लेकिन पराजय के बाद हमारी जूझने की क्षमता मानों कहीं गायब हो जाती है, जबकि उस समय उसकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है।'

अगले माह 73 साल के होने जा रहे पूर्व ऑलराउंडर ने कहा कि आज के खिलाडिय़ों में प्रतिकूल परिस्थितियों में लडऩे का माद्दा नहीं है। उन्होंने कहा, 'जबकि आज उनके पास सभी सुविधाएं है। गेंदबाजी, बल्लेबाजी और क्षेत्ररक्षण के लिए अलग-अलग कोच हैं। यहां तक कि कम्प्यूटर विश्लेषक भी टीम के साथ होते हैं। मजे की बात यह है कि सपोर्ट स्टाफ को भारी भरकम वेतन दिया जाता है। लेकिन इतनी सुविधाओं के बाद भी क्रिकेटरों के अंदर जज्बा और जुनून नहीं है, जो हमारी पीढ़ी के खिलाडिय़ों में होता था।'

आबिद अली 1971 में इंग्लैंड में सीरीज जीतने वाली टीम के सदस्य थे। वह 1974 में अजीत वाडेकर की कप्तानी वाली उस टीम में भी थे, जिसे इंग्लैंड में 0-3 से पराजय का सामना करना पड़ा था। आबिद अली ने 1967 से 1974 तक 29 टेस्ट मैच खेले। अपने करियर के दौरान वह विदेश में तीन सीरीज जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य थे।