भोपाल। प्रदेश में आईटी सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए इंफोसिस-टीसीएस को बुलाया गया है, अब ऐसे में उनसे सुविधाएं देने के नाम पर कोई पैसा नहीं मांगा जाएगा। यह बात नगरीय विकास एवं पर्यावरण मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने भोपाल में इंदौर विकास प्राधिकरण की बैठक में कही।

उन्होंने कहा कि आईडीए को जो भी नुकसान हो रहा है उसकी भरपाई राज्य सरकार करेगी। इसके लिए जल्द ही राजस्व, आईटी और नगरीय विकास एवं पर्यावरण विभाग की संयुक्त बैठक बुलाई जाएगी। आईडीए अध्यक्ष ने कहा कि सुपर कॉरिडोर में बिजली सब स्टेशन बनाने के लिए हमने 8 एकड़ जमीन बिजली विभाग को नि:शुल्क दी है, लेकिन अब वह सब स्टेशन के लिए भी पैसा मांग रहे हैं। इसी प्रकार नगर निगम इंदौर नर्मदा जल का पैसा मांग रहा है। जबकि इसका पैसा उन लोगों को देना चाहिए जो बिजली-पानी सुविधा का लाभ लेंगे।

अध्यक्ष शंकर ललवानी ने कहा कि इसमें इंफोसिस-टीसीएस जैसी बड़ी संस्थाएं भी शामिल हैं, इनसे भी सब स्टेशन बनाने और नर्मदा जल का पैसा वसूला जाना चाहिए। इस पर मंत्री विजयवर्गीय ने कहा कि दोनों आईटी संस्थाएं सुविधाएं मिलने की शर्त पर ही इंदौर में आई हैं, ऐसे में इनसे पैसे मांग कर इनकी सुविधाओं में कटौती करना उचित नहीं होगा। रही आईडीए के नुकसान की बात तो इसकी भरपाई करने का दूसरा रास्ता खोजेंगे।


जमीन का पैसा तो दिलवा दो

आईडीए अध्यक्ष ललवानी ने कहा कि प्राधिकरण की योजना से इंफोसिस-टीसीएस को 130 एकड़ जमीन आईटी नीति के तहत रियायती दर पर देने से खासा नुकसान हुआ है। इस जमीन के बदले हमें केवल प्रीमियम और भू-भाटक के रूप में 46 करोड़ 47 लाख 61 हजार 600 स्र्पए मिलना है। यह राशि भी आईटी विभाग ने अब तक नहीं दी है। उन्होंने कहा कि यदि आईडीए इस जमीन को बेचता तो उक्त जमीन के लगभग 640 करोड़ स्र्पए मिलते। आईडीए के अधिकारियों ने बताया कि इस हिसाब से इंफोसिस कंपनी से 307 करोड़ 12 लाख 30 हजार और टीसीएस कंपनी से 333 करोड़ 26 लाख 10 हजार स्र्पए लेना निकलते हैं।

वहीं दोनों आईटी कंपनियों से स्टांप शुल्क के 9 करोड़ 23 लाख 67 हजार 74 स्र्पए बकाया हैं। इस नुकसान की भरपाई करने के लिए आईटी विभाग ने 28 दिसंबर 2011 को कैबिनेट में प्रस्ताव मंजूर कराया था। इसमें कहा गया था कि आईटी कंपनियों को रियायती दर पर जमीन देने से आईडीए को जो भी नुकसान होगा उसकी क्षतिपूर्ति राज्य सरकार करेगी। लेकिन इस पर आज तक अमल नहीं हुआ है। इससे आईडीए की आर्थिक स्थिति गड़बड़ा गई है।


सरकारी जमीन के बदले नुकसान की भरपाई कर दो

आईडीए अध्यक्ष ने कहा कि विकास प्राधिकरणों को उसकी योजनाओं के लिए राज्य सरकार से कोई अनुदान प्राप्त नहीं होता है। ऐसी स्थिति में प्राधिकरणों को स्वयं अपनी वित्तीय व्यवस्था करना होती है। उन्होंने मंत्री विजयवर्गीय के सामने यह प्रस्ताव रखा कि तो वह प्राधिकरण को अब तक विभिन्न् योजनाओं में मिली सरकारी जमीन के बदले में इंफोसिस-टीसीएस से होने वाले नुकसान की भरपाई करवा दें, जिससे आईडीए पर सरकार की देनदारी से मुक्त हो सके। इस प्रस्ताव पर मंत्री ने सहमति जताते हुए जल्द ही बैठक करने की बात कही।