नई दिल्ली : सरकार ने पति या ससुराल वालों के हाथों महिला के उत्पीड़न के मामलों को शमनीय अपराध (compoundable offence) बनाने का मन बना लिया है। यानी दोनों पक्ष आपस में समझौता कर सकेंगे। अभी यह अपराध गैर-जमानती और गैर-शमनीय है और केस फाइल हो जाने के बाद पति-पत्नी किसी तरह का समझौता नहीं कर सकते।

गृह राज्यमंत्री किरेन रिजीजू ने राज्य सभा में कहा कि गृह मंत्रालय इस मामले में कानून मंत्रालय की राय का इंतजार कर रहा है। रिजीजू ने राज्य सभा में कहा, 'यह परिवार से जुड़ा मसला है और इसे परिवार के अंदर भी सुलझाया जा सकता है। कानून में इसके लिए प्रावधान होना चाहिए। इसके लिए हमने लॉ मिनिस्ट्री से राय मांगी है। जैसे ही हमें यह मिलेगी, हम संशोधन कर देंगे।'

जब कुछ महिला सांसदों ने यह कहते हुए विरोध किया कि उत्पीड़न की शिकार महिलाओं के पास कोई चारा नहीं होता, तो रिजीजू ने कहा कि सेक्शन 498A बहुत ही कठोर है। उन्होंने कहा, 'यह इतना कठोर है कि इसका मिसयूज़ हो रहा है।' उन्होंने भरोसा दिलाया कि उत्पीड़न की शिकार हुई महिलाओं की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, 'हमारा प्रस्ताव सिर्फ CrPC के सेक्शन 320 को लेकर है, जो अपराध को शमनीय बनाता है।'

गृह राज्यमंत्री हरिभाई चौधरी ने भी लिखित जवाब में सदन को इस प्रस्ताव के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि साल 2013 में दर्ज महिलाओं के खिलाफ क्रूरता या उत्पीड़न के मामलों में से 9 फीसदी झूठे या गलत थे। उन्होंने यह भी कहा था कि ऐसे कोई मजबूत सबूत नहीं हैं कि सेक्शन 498A सबसे ज्यादा गलत इस्तेमाल होने वाला कानून है।

उन्होंने कहा, 'देश के लॉ कमिशन ने अपनी दो रिपोर्ट्स में सिफारिश की है कि कोर्ट्स की इजाजत के साथ सेक्शन 498A को कंपाउंडेबल बना दिया जाना चाहिए। सरकार ने इन सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है।'