मंडला : मध्यप्रदेश का मंडला जिला उस समय गौरवान्वित हो गया जब एक सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली सभी 17 छात्राओं का चयन आईआईटी की मुख्य परीक्षा में हो गया। इन 17 छात्राओं में से 13 आदिवासी, दो बैगा और एक लड़की अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से हैं। ये दो लड़कियां आईआईटी जेईई की परीक्षा पास करने वाली पहली बैगा लड़कियां हैं।
18 साल की इस लड़की की उपलब्धि और भी खास इसलिए हो जाती है क्योंकि वह मध्यप्रदेश के मंडला जिले के उस सबसे पिछड़े क्षेत्र से आती हैं, जहां प्रारंभिक शिक्षा आज भी दूर की बात हैं। उसकी जाति को आज भी केन्द्र सरकार ने सबसे पिछड़े ट्राइबल ग्रुप में सूचीबध्द किया है जोकि आज भी दूरदराज के इलाकों में रहते है। आठवीं कक्षा पास पिता की बेटी गीता टेकाम कहती हैं कि उसका केवल एक ही लक्ष्य था और वह था इंजिनियरिंग की परीक्षा पास करना ।
जब उनसे इंजिनियरिंग में पसंद की ब्रांच के बारे में पूछा गया तो उसने कहा कि मुझे तो सारे विषय पसंद है मुझे इसकी ज्यादा जानकारी नहीं है इसलिए इसका चुनाव आगे करूंगी। गीता कहती है कि मेरे माता पिता यह नहीं जानते है कि इंजिनियरिंग क्या है। मैनें उन्हें बताया कि मैंने एक परीक्षा पास कर ली है और उन्होंने इसके लिए मुझे बधाई दी।
गांव की स्कूल से छठवीं पास करने के बाद उसे मंडला शहर में राज्य जनजातीय आयोग के माध्यम से वित्तपोषित आवासीय स्कूल एकलव्य के बारे में पता चला। गीता ने बताया, 'मैं और पढ़ना चाहती थी लेकिन मेरे माता-पिता को इस स्कूल के बारे में जानकारी नहीं थी। मेरे स्कूल टीचर ने कहा कि एकलव्य में तुम अपनी पढ़ाई जारी रख सकती हो स्कूल ने परीक्षा ली और मैं सफल हो गई। इसी स्कूल से गीता ने 12वीं की परीक्षा दी है और बडी उत्सुकता से परीक्षा परिणाम का इंतजार कर रही है।
एकलव्य स्कूल के शिक्षक और उसकी कक्षा के टॉपर्स कहते हैं गीता के जेईई परीक्षा में पास होने से उसके लिए अवसरों के कई दरवाजे खुल गए हैं। गीता कहती है कि जब मैं बारहवीं में पढ़ रही थी तभी मुझे आईआईटी और इंजिनियरिंग कॉलेजों के बारे में पता चला और मैंने जेईई की तैयारी करना शुरू कर दी। गीता कहती है कि अगर उसने जेईई अडवांस के स्तर को पार कर लिया तो वह देश के बेहतरीन इंजिनियरिंग कॉलेज में प्रवेश लेगी। अपने परिवार के बारे में बताते हुए वह कहती है कि तीन भाई बहनों में वह सबसे छोटी है उसके पिता एक किसान है और उसकी मां ना तो पढ़ सकती है और ना ही लिख सकती है।
गीता के शिक्षक अरुण तिवारी उसकी उपलब्धियों को बताते हुए कहते है कि यह लड़की गॉड गिफ्टेड है और जेईई के अडवांस लेवल को पार करने की क्षमता इसमें है। हम सब इसकी सफलता के कड़ी मेहनत कर रहे है।गीता के प्रयासों की सभी सराहना कर रहे हैं राज्य जनजातीय कल्याण परिषद के कमिश्नर उमाकांत उमराव कहते है कि गीता की तरह लडकियों ने यह सिध्द कर दिया है कि प्रतिभाओं की कोई कमी नही है बस इन्हें मौके दिए जाने की जरूरत है ताकि ये अपनी प्रतिभा दिखा सकें।
हम इंजिंनयरिंग के कोर्सेज में ट्राइबल क्षेत्र के प्रतिभावान युवाओं को लाने के लिए प्रयासरत हैं और उन्हें प्रेरित करते हैं। जिला प्रशासन अब यह भी सुनिश्चित कर रहा है कि छात्र अब जेईई मुख्य परीक्षा के लिए प्रतिष्ठित संस्थानों के शिक्षकों से मुफ्त मार्गदर्शन पाएं।
आदिवासी लड़कियों ने पास किया IIT-JEE एग्जाम
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