काठमांडू/ नई दिल्ली : नेपाल एक बार फिर जोरदार भूकंप से दहल गया है। रविवार दोपहर सवा 12 बजे आए तेज झटके पूरे उत्तर भारत में भी महसूस किए गए। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.7 मापी गई है और इसका केंद्र काठमांडू से 80 किलोमीटर दूर कोडारी में बताया जा रहा है।

शनिवार को आए तेज भूकंप के बाद रविवार सुबह भी हल्के झटके आने का दौर जारी था। नेपाल में सुबह से ही कई हल्के झटके महसूस किए जा रहे थे, मगर दोपहर को अचानक जमीन जोर से हिलने लगी। 12 बजकर 39 मिनट पर आए ये झटके इतने तेज थे कि इन्हें पूरे उत्तर भारत में महसूस किया गया। करीब 20 सेंकड्स तक आए इस भूकंप से एक बार फिर कल जैसे ही हालात बन गए। असम, सिक्किम, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली समेत कई राज्यों में लोग अपने घरों से बाहर निकल आए।

अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि इससे क्या नुकसान हुआ है, मगर नेपाल में चल रहे राहत और बचाव कार्य का इससे प्रभावित होना तय माना जा रहा है। इस बार भूकंप का केंद्र सतह से सिर्फ 2 किलोमीटर नीचे था। इससे पहले नेपाल में शनिवार को आए भूकंप में अब तक 1900 से ज्यादा लोगों के मारे जाने और 4500 से अधिक के जख्मी होने की खबर है। रिक्टर स्केल पर 7.9 तीव्रता वाले इस भूकंप ने नेपाल समेत भारत के कई राज्यों को हिलाकर रख दिया था।

यह पिछले 81 सालों में आया सबसे खतरनाक भूकंप है। इससे पहले साल 1934 में आए भूकंप ने नेपाल में भारी तबाही मचाई थी। इस जलजले न सिर्फ नेपाल के शहरों और गांवों में नुकसान किया है, बल्कि माउंट एवरेस्ट के बेस कैंप को भी खासा नुकसान पहुंचा है। भूकंप के बाद हुए हिमस्खलन से बेस कैंप का एक हिस्सा दफन हो जाने से कई पर्वतारोहियों की मौत हो गई है। अब तक 17 शव निकाले जा चुके हैं और 61 लोग जख्मी हुए हैं।

भारत में भूकंप से कई जगहों पर इमारतों को नुकसान पहुंचा है। यूपी, बिहार से लेकर दिल्ली तक भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे। अब तक देश में 50 लोगों के मारे जाने की खबर है। शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाई लेवल मीटिंग बुलाई थी। इसके बाद नेपाल के लिए राहत और बचाव दल की कई टीमें भेजी गई हैं। अभी तक एयर फोर्स ने अपने विमानों से करीब 500 लोगों को काठमांडू से निकालकर भारत पहुंचाया है।

नेपाल सरकार ने देशों से अपील की है कि वे मदद भेजें। भूकंप की वजह से कई जगहों पर रास्ते बंद हो गए हैं और अहम इमारतों को भी नुकसान पहुंचा है। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि संसाधनों की कमी की वजह से हालात खराब हो सकते हैं और मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। कई जगहों पर तो लोग मलबे में दबे लोगों को बचाने के लिए हाथों से ही खुदाई करते दिखे।

काठमांडू में बहुत से लोग बेघर हो गए हैं। बाकी लोग भी और झटके आने की आशंका के चलते घरों में जाने से बच रहे हैं। ऐसे में बारिश और भारी ठंड के बीच सड़कों और अन्य खुली जगहों पर जमे लोगों को सुविधाएं मुहैया कराने में प्रशासन को दिक्कत हो रही है।

अस्पतालों में भी हालात खराब हो रहे हैं। काठमांडू के बीर हॉस्पिटल में शनिवार को ही 300 से 350 लोग ऐसे पहुंचे, जो गंभीर रूप से जख्मी थे। डॉक्टरों का कहना है कि इनमें भी ज्यादातर की मौत हो गई। अस्पतालों को बाहर की दुकानों से दवाइयां वगैरह लेनी पड़ रही हैं।

माना जा रहा है कि अभी नेपाल में करीब 3 लाख पर्यटक फंसे हुए हैं। यह टूरिज़म का पीक टाइम था और इस वक्त क्लाइंबिंग और ट्रेकिंग के लिए बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक पहुंचते हैं।

इस बीच काठमांडू एयरपोर्ट को खोल दिया गया है। भारत सरकार ने नेपाल में राहत और बचाव कार्य के लिए 'ऑपरेशन मैत्री' शुरू किया है। पीएम नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में बताया कि भारत ने एक्सपर्ट्स की कई टीमें भेजी हैं, ताकि मलबे में फंसे लोगों को बचाया जा सके।