न्यूयॉर्क: अमेरिका जैसे विकसित देश में आम चुनावों की सुगबुगाहट के साथ श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी के लेकर देश के 200 शहरों में कामगारों, छात्रों और एक्टिविस्टों ने विरोध प्रदर्शन किए। 

बताया जा रहा है कि राजनीतिक सरगर्मियों के बीच अमेरिका में 15 डॉलर प्रति घंटे की न्यूनतम मजदूरी के लिए चलाई जा रही कैम्पेनिंग पर अरबों डॉलर खर्च किए जा रहे हैं।

फास्ट फूड वर्कर्स के आंदोलन से जुड़े संगठन च्न्यूयॉर्क कम्युनिटीज फॉर चेंजज् के निदेशक जोनाथन वेस्टीन का कहना है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में नए रोजगार व न्यूनतम मजदूरी को लेकर लोगों में काफी आक्रोश है, क्योंकि वर्तमान अर्थव्यवस्था अब लोगों के लिए काम नहीं कर रही है।
अमेरिका के इन मजदूरों के हाथ में जो बैनर थे उनमें लिखा था - गरीबी क्यों ? और च्हमें लालच दिखाई दे रहा है।

आपको बता दें प्रदर्शनकारियों का कहना है कि मजदूरी बढ़ाने के बाद मालिक अपने यहां ऑटोमेशन की प्रक्रिया बढ़ा देंगे, जिससे रोजगार के अवसर कम हो जाएंगे और नई नियुक्तियां प्रभावित होंगी।

अमेरिका की एक अन्य यूनियन एस.ई.आई.यू. की अध्यक्ष मेरी के. हेनरी ने कहा कि कामगारों के बड़े आंदोलन के बिना हम अपनी और अपने बच्चों की जिंदगी में कोई बदलाव नहीं ला सकेंगे।