पैरिस : फ्रांस, भारत में दिल्ली-चंडीगढ़ रेल लाइन की गति 200 किलोमीटर प्रति घंटा करने के लिए अध्ययन में भागीदारी करेगा। इसके साथ ही फ्रांस अंबाला और लुधियाना रेलवे स्टेशनों को नए सिरे से विकसित करने में भी मदद करेगा। भारत में स्मार्ट सिटी के विकास में भी फ्रांस सहायता करेगा। इन शहरों की पहचान भारत करेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांसवा ओलोंद के बीच हुई बातचीत में यह फैसले सामने आए हैं।
दोनों पक्षों के बीच एक रेलवे समझौते पर भी हस्ताक्षर किए गए जिसमें भारत और फ्रांस रेलवे के बीच अर्ध-तीव्र गति की रेल (सैमी स्पीड टे्रन) और स्टेशनों के उन्नयन में सहयोग स्थापित करने का वादा किया गया है।
सहमति के अनुसार भारतीय रेलवे और फ्रांस की राष्ट्रीय रेलवे (एस.एन.सी.एफ.) दिल्ली-चंडीगढ़ रेल लाइन को 200 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार के लायक बनाने के लिए मिलकर एक अध्ययन का वित्त पोषण करेंगे। अध्ययन एस.एन.सी.एफ. द्वारा किया जाएगा और इसके साथ ही अंबाला और लुधियाना रेलवे स्टेशनों का फिर से विकास किया जाएगा।
वक्तव्य में यह भी कहा गया है कि भारत में स्मार्ट शहरों के विकास में सहयोग के लिए भी फ्रांस सहमत हुआ है। इस संबंध में भारत के योजना एवं वास्तु विद्यालय, दिल्ली और नैशनल आर्कीटैक्चर इंस्टीच्यूट ऑफ पैरिस के बीच आपसी सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए गए। वहीं ईसरो और फ्रैंच नैशनल सैंटर फॉर स्पेस स्टडीज (सी.एन.ई.एस.) के बीच एक ‘कार्यक्रम’, अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र, भारत के खेल एवं युवा मामले मंत्रालय और फ्रांस के खेल और युवा मामले, सार्वजनिक शिक्षा और सामुदायिक जीवन मंत्रालय के बीच भी एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए गए। इसके अलावा शिक्षा, संस्कृति, आयुर्वेद के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति बनी है।
सी.ई.ओ. मंच ने किया ‘दिक्कतों’ का जिक्र
फ्रांसीसी कारोबारी नेताओं ने ‘मोदी पूर्व दौर’ में आई ‘दिक्कतों’ का जिक्र करते हुए स्पष्ट, पारदर्शी और स्थिर नियमों पर जोर दिया तथा भारत में निवेश में रुचि जताते हुए भारतीय कंपनियों के साथ विशेष क्षेत्रों में 5 कार्यबल गठित करने का निर्णय किया। प्रधानमंत्री मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलोंद के साथ गत दिवस यहां आयोजित भारतीय और फ्रांसीसी मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सी.ई.ओ.) की मुलाकात के दौरान इन समस्याओं का जिक्र किया गया।
बैठक में फ्रांसीसी कंपनियों ने भारत में निवेश तथा ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम में गहरी दिलचस्पी दिखाई। सी.ई.ओ. मंच ने कहा, ‘‘निवेश के लिए किसी भी कंपनी को नियमों में ‘स्पष्टता, पारदर्शिता और स्थिर नियमों’ की आवश्यकता होती है। वह भारत में नए सुधारों की कोई तमन्ना नहीं रखते, वह बस ‘ऐसे 10 प्रतीकात्मक कार्यक्रम चाहते हैं जिससे यह प्रदर्शित हो सके कि परियोजनाएं पूरी हो सकती हैं।’’