नई दिल्ली । लाल किले की प्राचीर से इस दफा प्रधानमंत्री देश के नाम संदेश नहीं देंगे, बल्कि जनसंवाद करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वाधीनता दिवस भाषण से सरकार के अगले एक साल की दिशा और स्पष्ट हो जाएगी। इंदिरा गांधी के बाद मोदी पहले प्रधानमंत्री होंगे जो बिना पढ़े धाराप्रवाह बोलेंगे।

इससे भी ज्यादा अहम है कि भाषण सरकारी दस्तावेज न होकर पूरी तरह से राजनीतिक होगा। इस ऐतिहासिक मौके और स्थान से मोदी भारतीय जन-गण-मन से पूर्व प्रधानमंत्रियों की तुलना में कुछ अलहदा अंदाज में ही रूबरू होंगे। आम आदमी को सबसे प्रभावित करने वाले मुद्दे महंगाई, विकास और आंतरिक व राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर उनका विशेष ध्यान होगा।

दिशा होगी स्पष्ट

पिछले ढाई माह के दौरान लिए गए फैसलों का हिसाब-किताब जनता से साझा करते हुए मोदी अपने वादों को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ने का संदेश देंगे। खासतौर से गांवों में शहरी सुविधा बहाल करने की अपनी योजना के साथ-साथ बैंकिंग नेटवर्क बढ़ाने, आर्थिक मोर्चे और विदेश एवं रक्षा नीति पर सरकार की नीयत और नीति को जनता के सामने रखेंगे।

पूर्ववर्ती प्रधानमंत्रियों की तरह योजनाओं और नीतिगत निर्णयों की घोषणा न कर वह बस उनका जिक्र भर करेंगे। इसमें एक संदेश स्पष्ट होगा कि महंगाई को कम भले न किया हो, लेकिन काबू कर लिया है। इसी तरह गंगा पर काम शुरू होने और घोषणापत्र के वादों की दिशा में आगे बढ़ने के लिए कैसे सरकार की नई कार्यशैली विकसित की है, इसे भी मोदी जनता को बताएंगे।

दिखेगी चिरपरिचित शैली

जनता से सीधे जुड़ाव के लिए मोदी अपनी चिरपरिचित शैली में बिना लिखे ही भाषण देंगे। प्रधानमंत्री के भाषण के लिए चार मंत्रियों का जो पैनल बना था, उसने भी सिर्फ सरकार के कामकाज पर कुछ बिंदु बनाकर ही पीएमओ को भेजे हैं। 1984 के बाद पहली बार पूर्ण बहुमत की सरकार के मुखिया बने मोदी अपने पूर्ववर्तियों से बड़ी लाइन स्वाधीनता दिवस पर अपने पहले ही भाषण में खींचना चाहते हैं।

40 करोड़ एसएमएस होंगे

वह न सिर्फ पहले गैरकांग्रेसी पूर्ण बहुमत वाली सरकार के मुखिया बनकर लाल किले पर झंडा फहराएंगे, बल्कि आजादी के बाद पैदा हुए देश के पहले प्रधानमंत्री भी हैं। आजादी के पर्व पर जनता से जुड़ने के लिए भी मोदी ने इस दफा अभूतपूर्व इंतजाम किए हैं। भाषण का सजीव प्रसारण टीवी के साथ इंटरनेट में भी होगा। साथ ही 40 करोड़ एसएमएस हाइलाइट लोगों तक पहुंचेंगे।

इसके अलावा सरकारी व परंपरागत माध्यमों के अलावा सोशल मीडिया के सभी प्लेटफार्म सरकार बखूबी इस्तेमाल करेगी। लालकिले पर पहली बार इतनी बड़ी संख्या में शायद लोग भी इकट्ठे होंगे।

सियाचिन पर संदेश

संवाद के साथ-साथ प्रतीकों में भी मोदी पीछे नहीं रहेंगे। भले ही पिछले दिनों वह सियाचिन नहीं जा पाए हों, लेकिन सियाचिन में तैनात 8वीं जम्मू-कश्मीर लाइट इंफेंट्री बटालियन से वह 15 अगस्त को सलामी लेकर चीन-पाकिस्तान को एक संदेश जरूर देंगे।

यह पहली बटालियन थी जो 1947 में कश्मीर पर हुए कबाइली हमले का जवाब देने के लिए फ‌र्स्ट बटालियन बार्डर स्काउट के रूप में गठित हुई थी। अप्रैल 1948 में इसे जम्मू-कश्मीर लाइट इंफेंट्री बटालियन का नाम दिया गया। आयोजन के समय कैप्टन हेमचंद्र डी और कैप्टन महेश बिष्ट प्रधानमंत्री के एडीसी के रूप में तैनात रहेंगे। मेजर सुमिरन व्यास झंडारोहण के लिए प्रधानमंत्री की मदद करेंगे।