नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र के हंगामेदार रहने की संभावना है। सरकार इस दौरान दूसरी पीढ़ी के आर्थिक सुधारों को गति देने वाले विधेयकों को पास कराने का पूरा प्रयास करेगी। इनमें बीमा, कोयला, वस्तु एवं सेवा कर समेत 39 विधेयक शामिल हैं। जबकि विपक्ष काले धन के मुद्दे पर सरकार को कटघरे में खड़ा करने का प्रयास करेगा। सत्र को सुचारू रूप से चलाने के लिए सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक से किनारा कर ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस और सपा ने इसके साफ संकेत दे दिए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अच्छे सत्र को लेकर उम्मीद जताई है।
सर्वदलीय बैठक में 26 दलों के नेता आए
सर्वदलीय बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरकार इस दौरान सभी दलों को साथ लेकर सभी अहम मुद्दों को संसद में उठाया जाएगा। उन्होंने बजट सत्र की तरह इस सत्र के सफल होने की उम्मीद जताई। बजट सत्र की तर्ज पर भी शीत सत्र को सुचारू रूप से चलाने के लिए रविवार को सर्वदलीय बैठक हुई। इसमें 26 दलों के 40 नेताओं ने भाग लिया।
लोकपाल कानून में संशोधन की तैयारी
सत्र के पहले हफ्ते में ही सरकार सीबीआइ निदेशक की नियुक्ति का रास्ता साफ करने के लिए लोकपाल कानून में संशोधन का विधेयक पारित कराने की कोशिश कर सकती है। लोकपाल कानून में सीबीआइ निदेशक की नियुक्ति के लिए कोलेजियम में प्रधानमंत्री और भारत के मुख्य न्यायाधीश के साथ-साथ लोकसभा में विपक्ष के नेता को भी शामिल किया गया है। पर्याप्त सीटें नहीं होने के कारण लोकसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस को नेता विपक्ष का दर्जा नहीं दिया है। लिहाजा सबसे बड़े दल के नेता को चयन समिति में शामिल करने के लिए कानून में संशोधन की आवश्यकता है।
विपक्ष ने कर दी है मंशा स्पष्ट
वैसे सपा और तृणमूल ने सर्वदलीय बैठक से किनारा कर साफ कर दिया है कि वह सरकार को घेरने की पूरी कोशिश करेगी। वहीं सरकार ने तृणमूल कांग्रेस को बैठक का निमंत्रण नहीं भेजे जाने की खबरों का खंडन कर दिया है। ममता बनर्जी पहले ही बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश बढ़ाने वाले संशोधन विधेयक के विरोध का एलान कर चुकी है।
सरकार के विरोध में कांग्रेस का भी मांगा साथ
यही नहीं, तृणमूल कांग्रेस, सपा, वामपंथी दल, बसपा, जदयू और राजद ने कांग्रेस से सरकार को घेरने में एकजुट होने को कहा है। लेकिन लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खडग़े ने साफ कर दिया है कि विधेयक में प्रस्तावित संशोधनों को देखने के बाद ही पार्टी कोई फैसला करेगी। लेकिन कालेधन के मुद्दे पर सरकार को घेरने में कांग्र्रेस कोई कसर नहीं छोड़ेगी।
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