नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार ने लगता है रेलवे में सुधार की बीड़ा उठा लिया है. नए रेल मंत्री सुरेश प्रभू ने रेलवे मंत्रालय संभालने के बाद पहला महत्वपूर्ण फैसला ये लिया है कि रेलवे के टेंडरिंग प्रॉसेस को जनरल मैनेजर लेवल पर ही निपटा लिया जाएगा. टेंडर्स को तय करने में रेलमंत्री या रेलवे बोर्ड की भूमिका नहीं होगी. टेंडरिंग प्रॉसेस को कैसे सुचारू और पारदर्शी बनाया जाए इसके लिए पूरा लेखाजोखा तैयार करने की जिम्मेदारी मेट्रो मैन के नाम से मशहूर हुए ई श्रीधरन को दी गई है. ई श्रीधरन की अध्यक्षता में बनी वन मैन कमेटी को इस बारे में दो हफ्ते के भीतर अपनी अंतरिम रिपोर्ट देनी है.

टेंडरिंग प्रोसेस को पारदर्शी बनाने के लिए इससे जुड़ी ज्यादातर चीजों को ऑनलाइन करने बारे में भी रेल मंत्रालय का जोर है. उद्योग जगत ने रेलमंत्रालय के इस फैसले का स्वागत किया है.

टेंडरिंग प्रॉसेस को ऑनलाइन करने और इसको तय करने की पावर जीएम लेवल पर देने से रेलवे के तमाम अटके हुए प्रोजेक्ट जल्द से जल्द पूरे करने में मदद मिलेगी. उधर दूसरी तरफ रेलवे में एफडीआई के बारे में मंत्रालय ने अपनी गाइडलाइन तय कर ली है. इस गाइडलाइन में हाई स्पीड ट्रेनों, बुलट ट्रेन, रेलवे ट्रेक के विद्युतीकरण, रेलवे स्टेशनों को एयरपोर्ट की तर्ज पर तैयार करने के लिए 100 फीसदी एफडीआई को मंजूरी दी गई है.
 
रेलवे में तमाम ऐसे प्रोजेक्ट हैं जो पैसे की कमी के चलते या तो अधूरे पड़े हैं या जिनमें काम ही शुरू नहीं हुआ है. अगर रेलवे में विदेशी निवेशक आकर्षित होते हैं तो इससे भारतीय रेलवे को मोदी के सपनों की रेल बनाने में पूरी मदद मिलेगी.