
ग्वालियर में हाईकोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता और उसके माता-पिता को थाने में पीटने पर कड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा, पुलिस भरोसे लायक नहीं है। पुलिस अफसर आरोपी के दादा के कहने पर काम करते रहे। कोर्ट ने डीजीपी से कहा कि मामले की जांच CBI से कराई जाए। पुलिस अफसरों और आरोपी के दादा के फोन कॉल्स की जांच हो। टीआई और महिला एसआई पर FIR दर्ज करें। ASP और सीएसपी को ग्वालियर-चंबल से बाहर भेजें।
यह है पूरा मामला
15 साल की एक नाबालिग ने 31 जनवरी 2021 को CM हेल्पलाइन पर दुष्कर्म की शिकायत की थी। इसके बाद ग्वालियर की मुरार पुलिस उसे थाने लेकर आई। यहां पर उसने बताया कि सीपी कॉलोनी निवासी गंगा सिंह भदौरिया के मकान में वह झाड़ू-पोंछा का काम करती थी। 20 दिसंबर 2020 से उसे काम पर रखा था। घर के ग्राउंड फ्लोर पर ही रहती थी। 31 जनवरी की रात 8 बजे गंगा सिंह का नाती आदित्य भदौरिया और उसके एक दोस्त ने मेरे दरवाजा पर दस्तक दी। जब दरवाजा खोला तो आदित्य और उसके दोस्त कमरे में आ गए। इन्होंने मेरे साथ दुष्कर्म किया। इसके बाद वहां से धमकाकर भाग गए।
आरोपी के ठेकेदार दादा के प्रभाव में पुलिस ने पीटा
पुलिस ने आदित्य के दोस्त पर दुष्कर्म का मामला दर्ज किया है। पर मामला दर्ज होने का पता चलते ही आरोपी आदित्य भदौरिया का दादा व ठेकेदार गंगा सिंह भदौरिया थाने पहुंचा। उसके बाद पुलिस ने उल्टा पीड़िता को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। पीड़िता ने कहा था कि उसे थाने में रात भर झाड़ू और डंडे से पीटा। उसके मां-पिता को थाने में बंधक बनाकर पुलिस ने पीटा। इसमें TI मुरार अजय पवार, सब इंस्पेक्टर कीर्ति उपाध्याय पर सीधा आरोप लगा था।
हाईकोर्ट ने पुलिस अफसरों को लताड़ा, CBI को दी जांच
नाबालिग दुष्कर्म पीड़ित ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता के एडवोकेट अनिल मिश्रा ने तर्क दिया कि आदित्य सिंह भदौरिया व उसके एक दोस्त ने नाबालिग के साथ दुष्कर्म कर मारपीट की। मुरार थाना पुलिस के पास जब शिकायत लेकर पहुंचे तो उल्टा पुलिस नाबालिग को परेशान करने लगी। साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ भी की। थाने में अवैध रूप से पीड़िता को बंधक बनाए रखा। पुलिस ने उसे बयान बदलने के लिए पीटा और दबाव भी बनाया। इसी दौरान नाबालिग गायब होने पर हेवियस कार्पस भी दायर की गई।
कोर्ट ने पुलिस से इस संबंध में जवाब मांगा। मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने SP ग्वालियर को तलब कर लिया था। 17 जून को SP अमित सांघी न्यायालय के सामने उपस्थित हुए। 17 जून को बहस के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया था। बुधवार को इस मामले में फैसला सुनाया है। कोर्ट ने अपने 129 पेज के आदेश में कहा कि मामले में आरोपी पर तो कार्रवाई नहीं की पीड़िता और उसके परिवार को पुलिस प्रताड़ित करने में लगी रही। महिला सब इंस्पेक्टर से लेकर ASP स्तर तक के पुलिस अफसर आरोपी के दादा गंगा सिंह भदौरिया के कहने पर मामले को प्रभावित करते रहे। पुलिस की जांच में दोष है। मामले की निष्पक्ष जांच जरूरी है।
इन अफसरों पर होगी कार्रवाई
ASP शहर सुमन गुर्जर को मामले की जांच दी थी, पर आरोपी पर कोई कार्रवाई न करते उल्टा आरोपी की मदद की। भूमिका की जांच हो। अंचल से बाहर भेजा जाए।
CSP आरएन पचौरी ने आरोपियों की मदद की, कोर्ट को गलत जानकारी देकर गुमराह किया, इसलिए भूमिका की जांच हो। अंचल से बाहर ट्रांसफर किया जाए।
मुरार थाने से मामला सिरोल भेजा गया। यहां जांच सिरोल थाना प्रभारी प्रीति भार्गव कर रही थीं। पांच महीने तक कुछ नहीं किया। भूमिका की जांच हो।
मुरार थाना TI अजय पवार व सब इंस्पेक्टर कीर्ति उपाध्याय ने नाबालिग को अवैध रूप से थाने में बिठाए रखा। नाबालिग के वीडियो बनाकर और कुछ अहम CCTV वॉट्सएप पर शेयर भी किए। इन दोनों अफसरों पर मामला दर्ज किया जाए।
पॉइंट में कोर्ट के निर्देश
हाईकोर्ट ने पुलिस अफसरों पर 50 हजार रुपए का हर्जाना लगाया। यह राशि पीड़िता को देने के लिए कहा।
कोर्ट ने थानों में जितने भी CCTV कैमरे लगे हैं, वह 24 घंटे चालू रखे जाएं। भविष्य में ये कैमरे बंद नहीं रहे। कंट्रोल रूम से कैमरे कंट्रोल हों।
कोर्ट ने कहा कि अक्सर देखने को मिलता है कि थाने के CCTV बंद होने की रिपोर्ट आती है। इस घटना के समय भी कैमरे बंद थे। DGP मध्य प्रदेश इसका पालन करवाएं।
CBI मामले की जांच करे, CBI गंगा सिंह व पुलिस अफसरों के फोन कॉल्स की जांच करें।
पीड़िता व उसके पिता के बयानों की तीन वीडियो क्लिप पेश की थी। इस क्लीपिंग को बंद लिफाफे में रखने के निर्देश दिए हैं।