राजधानी दिल्ली से सटे गाजियाबाद के कोविड अस्पतालों में भर्ती मरीजों में 38 फीसदी आईसीयू पर उपचार करा रहे हैं। कुल 20 अस्पतालों में 177 कोरोना संक्रमितों का उपचार चल रहा है, जिसमें 66 मरीज आईसीयू पर हैं। कोरोना वायरस की दूसरी लहर अप्रैल माह में आई थी, जिसमें कोरोना संक्रमितों की संख्या तो बढ़ी ही थी, साथ ही गंभीरता भी देखने को मिली। जहां पिछले साल पहली लहर में 75 फीसदी से ज्यादा मरीज बिना लक्षण और कम लक्षण के आ रहे थे, जो होम आइसोलेशन पर भर्ती हो रहे थे। वहीं अप्रैल माह के बाद ये आंकड़ा कम होता गया। गंभीर मरीजों का औसत बढ़ने लगा। अधिकांश मरीजों को अस्पताल में उपचार की जरूरी पड़ रही थी।
वहीं अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों को ऑक्सीजन, वेंटिलेटर और आईसीयू बेड की जरूरत पड़ रही थी। अप्रैल माह में गंभीरता का औसत 50 फीसदी बढ़ गया था। इस कारण अस्पताल में बेड को लेकर भी मारामारी शुरू हो गई थी, जिसमें अधिकांश मरीजों की उपचार नहीं मिलने से मौत हो गई। दूसरी लहर में गंभीरता अधिक देखने को मिली, अप्रैल और मई के दो माह में ही 340 संक्रमितों की मौत हो गई। जून माह में कोरोना मरीजों का संख्या तो कम देखने को मिल रही है, लेकिन गंभीरता अभी भी कम नहीं हो रही है। वर्तमान में जिले में 58 कोविड अस्पतालों में 3,469 केविड बेड की व्यवस्था है, जिसमें केवल 177 मरीज (5 फीसदी) भर्ती हैं। इसमें से 66 मरीज (38 फीसदी) आईसीयू पर भर्ती हैं। वहीं 58 मरीज (33 फीसदी) ऑक्सीजन बेड पर हैं। रोजाना मिलने वाले मरीजों को भी आईसीयू, ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की जरूरत पड़ रही है।
मृत्यु दर 4 फीसदी के पार पहुंची
रोजाना 25 से 30 लोगों में कोरोना की पुष्टि हो रही है, जिसमें से एक मरीज की मौत हो रही है। जून में पिछले 17 दिनों में 425 मरीजों में कोरोना की पुष्टि हुई है, जिसमें से 18 मरीजों की मौत हो चुकी है।
पुरानी बीमारियां बन रही कारण
कोरोना संक्रमितों के लिए हृदय, किडनी, फेफड़ों, मस्तिष्क और विभिन्न गंभीर बीमारियां मुसिबत बन रही हैं। यदि मरीज गंभीर बीमारी से पीड़ित है, तो ऐसे में कोरोना की उपचार काफी बेचिदा रहता है। ऐसे में कुछ दवाओं का परहेज भी करना पड़ता है और कुछ दवाएं जरूरी भी होती हैं। वर्तमान में शुगर के मरीजों को काफी दिक्कत हो रही है। कोरोना के उपचार के दौरान ठीक होने के लिए स्टेरॉयड लेने पड़ते हैं। इसी में दवाओं की अधिक मात्रा होने पर म्यूकर माइकोसिस का भी खतरा रहता है।
कोरोना का संक्रमण खत्म नहीं हुआ है। संक्रमण दर कम होने के कारण सक्रिय मरीजों की संख्या कम हो गई है। इसलिए लोगों को अभी बचाव की जरूरत है। - डॉ. आरके गुप्ता, जिला सर्विलांस अधिकारी