चंडीगढ़: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह से हरियाणा के भावी मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का प्रारंभिक जीवन भी झंजावातों से भरा रहा। मोदी ने बचपन में चाय बेची तो खट्टर ने कपड़े की फेरी लगाकर बचपन के दिन बिताए। पाकिस्तान से हरियाणा के रोहतक में शिफ्ट हुए खट्टर के परिवार की आर्थिक स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं थी।

जिंदगी के शुरूआती दौर में खट्टर ने जीवन के कई उतार-चढ़ाव देखे। शायद यही वजह है कि मोदी और खट्टर की दोस्ती प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के तौर पर नजर आ रही है। बचपन में दोस्तों के बीच अलग दिखने वाले खट्टर के बारे में कहा जाता था कि आगे चलकर यह कुछ अलग ही नजर आएंगे।

5 मई 1954 को रोहतक जिले के गांव निंदाना में जन्मे खट्टर बचपन से ही प्रतिभाशाली थे। उनके दादा भगवान दास खट्टर अपने परिवार के साथ देश के विभाजन के समय पाकिस्तान से निंदाना गांव शिफ्ट हुए थे। 4 साल बाद खट्टर के पिता हरबंस लाल खट्टर ने रोहतक जिले के ही गांव बनियानी में मकान बनाया और परिवार सहित यहां रहने लगे थे।

जबकि निंदाना में उनके दादा और पिता की दुकान थी और बनियानी में उन लोगों ने खेती के लिए जमीन खरीदी थी। उनकी प्राइमरी स्कूल की शिक्षा भी इसी गांव में हुई और पड़ोस के गांव माली आनंदपुर से मैट्रिक किया। मौजूदा समय में भी खट्टर के 2 भाई रोहतक ही रहते हैं। जबकि एक भाई जगदीश दिल्ली में रहते है।

स्कूल के समय से ही था अलग मिजाज
खट्टर के बचपन के दोस्तों की मानें तो उनका मिजाज बचपन से ही अलग था। स्कूल में भी मनोहर लाल को लीडरी का शौक रहता था। जिसके चलते उनके दोस्त उन्हें हैड मास्टर कहकर बुलाते थे। खट्टर के भाई चरणजीत के मुताबिक मनोहर लाल मैडीकल की तैयारी करना चाहते थे लेकिन उनके पिता ने उन्हें बिजनैस में समय लगाने के लिए कहा।

1976 में आर.एस.एस. से हुआ जुड़ाव
हरियाणा के भावी मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर 1976 में ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की विचारधारा से जुड़ गए थे। वह 1974 में दिल्ली में कपड़े की दुकान चलाते थे और यहीं से उनकी आस्था संघ के साथ हो गई। 1980 में मनोहर लाल पूरी तरह से संघ से पूर्णकालिक सदस्य बन गए और प्रचारक के तौर उन्होंने अपना जीवन शुरू किया।

संघ से मिली अविवाहित रहने की प्रेरणा
बचपन से कुछ करने का जुनून रखने वाले मनोहर लाल ने संघ से जुड़ते ही शादी नहीं करने का फैसला किया था। परिवार के भारी दबाव के बाद भी उन्होंने शादी नहीं की। मनोहर लाल ने शादी न करने के पीछे परिवार को साफ बता दिया कि वह अपना जीवन देश के लिए देना चाहते हैं।

इस तरह रहा राजनीतिक सफर
करीब 40 सालों पहले संघ से जुड़े मनोहर लाल को 1994 में हरियाणा भाजपा में प्रदेश संगठन मंत्री की जिम्मेदारी दी गई थी। भाजपा नेताओं की मानें तो वर्ष 1996 के विधानसभा चुनाव में भाजपा का हरियाणा विकास पार्टी के साथ गठबंधन था, जिसमें सरकार बनाने में खट्टर की बड़ी भूमिका रही थी। 2002 में पार्टी ने उन्हें जम्मू-कश्मीर का प्रभारी बनाया था। बीते लोकसभा चुनाव में खट्टर को हरियाणा में चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया गया था।

मोदी की खिचड़ी से सी.एम. तक का सफर
90 के दशक में नरेंद्र मोदी के साथ हरियाणा में संगठन मंत्री की भूमिका निभाने वाले खट्टर को शायद यह पता नहीं था कि एक दिन उनके साथी नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बनेंगे और वह हरियाणा के मुख्यमंत्री। मोदी के हरियाणा प्रभारी रहने के बाद खट्टर उनके साथ ही पार्टी को खड़ा करने की रणनीति बनाते थे और रात में दोनों एक साथ खिचड़ी भी पकाकर खाते थे। 60 साल के खट्टर को पूरी तरह से मुख्यमंत्री बनाने में उनकी मेहनत, सादगी व ईमानदारी के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पूरा आशीर्वाद रहा है। यही नहीं खट्टर को नागपुर से भी हरी झंडी मिली थी।