महाराष्ट्र के राज्यपाल सी पी राधाकृष्णन ने जाति और धर्म के आधार पर किए जाने वाले भेदभाव को लेकर चिंता जाहिर की है. उन्होंने कहा कि यह बहुत निराशाजन है कि कभी-कभी लोगों को उनकी जाति या धर्म की वजह से घर देने से मना कर दिया जाता है. इस तरह के भेदभाव को न करने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि इसे पूरी तरह से खत्म किया जाना चाहिए.

उन्होंने लोकमत अंतरधार्मिक संवाद के माध्यम से विश्व शांति और सद्भाव’ के कार्यक्रम में इसकी चर्चा की. उन्होंने कहा कि अंतरधार्मिक बातचीत की अवधारणा कोई नई नहीं है. यह विभाजन को पाट सकती है और लोगों के पूर्वाग्रहों को खत्म कर सकती है.

मनाया जाए सभी धर्मों का त्योहार

राधाकृष्णन ने कहा कि एक बहु-धार्मिक और बहु-सांस्कृतिक समाज में ये जरूरी है कि सभी धर्मों के नागरिकों का सम्मान किया जाए. उन्होंने कहा कि हमें अपने नागरिकों को सभी धर्मों का सम्मान करना सिखाना चाहिए.

इसका सबसे अच्छा जरिया उन्होंने स्कूल और कॉलेज को बताया. उन्होंने कहा कि इसकी शुरुआत स्कूल और कॉलेज से होनी चाहिए. सभी स्कूल और कॉलेज को सभी धर्मों के त्योहार उत्साहपूर्वक मनाने चाहिए और छात्रों को भी इसके लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हम अपने छात्रों को सभी धर्मों के त्योहार मनाने से रोक रहे हैं. राज्यपाल ने कहा कि अभिभावकों को अपने बच्चों को अलग-अलग धर्मों के पूजा स्थलों से परिचित कराना चाहिए, जिससे दूसरे धर्मों के प्रति सम्मान और सहानुभूति बढ़ेगी.

उन्होंने कहा कि ये सुनकर दुख होता है कि लोगों को जाति या धर्म के आधार पर घर देने से मना किया जा रहा है. इसे हमेशा के लिए खत्म किया जाना चाहिए. विश्व शांति और सद्भाव केवल अंतरधार्मिक संवाद से ही बनाया जा सकता है. हमें हर नागरिकों को शांति और सद्भावना की ओर आगे बढ़ाना चाहिए.

राज्यपाल ने कहा कि अंतरधार्मिक बातचीत लोगों के बीच विभाजन को पाट सकता है. लोगों के विचारों से पूर्वाग्रहों को खत्म कर सकता है. साथ ही मानवता की गहरी समझ को लोगों के बीच बढ़ा सकता है.

भारतीय संस्कृति भाषा और त्वचा का रंग नहीं बताती

आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि भारतीय संस्कृति की पहचान भाषा, त्वचा के रंग या आस्था से नहीं होती है. उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में जवाबदेही एक जरूरी अवधारणा है और इस बात पर जोर दिया कि जो होता है, वही होता है.

उन्होंने कहा कि हर काम के अपने नतीजे होते हैं. हमने कभी नहीं कहा कि विविधता हमें कमजोर बनाती है. हमने हमेशा कहा है कि विविधता, बहुलता प्राकृतिक नियम है और इसका सम्मान किया जाना चाहिए.