
जयपुर । पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और अशोक गहलोत की लड़ाई पर बयानबाजी कर रही भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को पायलट ने नसीहत देते हुए कहा कि भाजपा नेता कांग्रेस की नहीं उनकी अपनी भारतीय जनता पार्टी के अंदर कलह को पहले सुलटायें उन्हें व्यर्थ की बयानबाजी से अपनी पार्टी की हालत की गंभीरता को पहले देखनी चाहिए। पायलट द्वारा भाजपा को दी जा रही नसीहत लग रहा है कि पायलट भाजपा के कंधे पर बंदूक रख सरकार की कार्यनीति पर निशाना तो नहीं साध रहे है। तो दूसरी ओर पायलट खुद और उनके खेमे में शामिल समझे जाने वाले हेमराम चौधरी, वेदप्रकाश सोलंकी जैसे विधायकों का बार बार सरकार की कार्यशैली और उसकी नीति नियत पर उंगली उठाना और पायलट के द्वारा 10 माह पूर्व हुए समझौतेे को मुख्यमंत्री द्वारा लागू नहीं किए जाने की पीड़ा को एक बार अखबारों की सुर्खियों में सामने आ गए है इन सुर्खियों को राजनैतिक स्टेज बनाकर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं में अलग अलग बयान जरूर दिए पर उन सभी का एक ही मोटो था की कांग्रेस पार्टी मे सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है गहलोत और पायलट की आपसी सत्ता की कुर्सी हथियाने की लडाई के बीच प्रदेश की जनता के काम नहीं हो पा रहे है और सरकार कोरोना संक्रमण के इंतजामों का नाम लेकर घर की रार को छुपाना चाहती है जबकि यह स्पष्ट हो गया है कि गहलोत और सचिन पायलट की लड़ाई अभी थमी नहीं है और यह स्पष्टता दिखाने का काम स्वंय गहलोत मंत्रिमंडल में उपमुख्यमंत्री रहे सचिन पायलट ने ही यह कहकर कर दिया है कि 10 माह पूर्व हुए समझौते को मुख्यमंत्री को आखिर लागू क्यों नहीं कर रहे है। दूसरी ओर राजनैतिक नेताओं द्वारा बोले जाने वाले शब्दों का विश्लेषण करने वाले विश्लेषकों का मानना है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पायलट की रार इतनी आसानी से सुलटने वाली नहीं दिखती है उसके कारणों में कहा जा रहा है कि अलगाव की खबरें भाजपा में जितनी तेजी से उभर रही है उतनी ही तेजी से कांग्रेस में भी नेताओं के सत्ता विरोधी स्वर फूट रहे है।