अहमदाबाद । साबरमती आश्रम के पुनर्निर्माण की योजना के खिलाफ गुजरात उच्च न्यायालय में दायर याचिका का राज्य सरकार की ओर से स्पष्टीकरण के बाद निपटारा हो गया। महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने अदालत को बताया कि गांधी आश्रम में कहीं पर भी पुनर्निर्माण कराने की योजना नहीं है, सरकार की यहां कोई मनोरंजन पार्क बनाने की मंशा नहीं है। इसके आसपास के जर्जर मकान ट्रस्टों के भवनों को गांधी विचार दर्शन के अनुकूल बनाने की योजना है।

महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी की ओर से केंद्र राज्य सरकार की ओर से साबरमती आश्रम अहमदाबाद के 12 सौ करोड़ की लागत से पुनर्निर्माण कराने की योजना के विरोध में उच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल की गई थी। मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार एवं न्यायाधीश जे शास्त्री की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए गुरुवार को याचिका का निपटारा कर दिया। गुजरात सरकार के महाधिवक्ता त्रिवेदी ने अदालत को बताया कि साबरमती आश्रम- गांधी स्मारक संग्रहालय करीब 50 एकड में फैला है। यहां पर कई मकान बने हैं जो आजादी से पहले के हैं, इनमें से 47 मकान तो पूरी तरह जर्जर हो चुके हैं। त्रिवेदी ने इस बात से साफ इनकार किया कि सरकार की मंशा गांधी आश्रम में किसी भी जगह पुनर्निर्माण कराने की है।

महाधिवक्ता ने बताया कि आश्रम में कहीं पर भी पुनर्निर्माण नहीं होगा बल्कि इसके आसपास की भूमि को गांधी विचार दर्शन के अनुकूल विकसित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि जब भी राज्य में कहीं कोई पुनर्निर्माण की बात आई लोग विरोध पर उतर आए, िफर वह स्टेच्यू ऑफ यूनिटी हो, कांकरिया लेक हो या फिर साबरमती रिवरफ्रंट। लोग तरह तरह की बातें कर विरोध करते थे लेकिन आज वहीं इनका स्वागत करते हैं। उन्होंने विरोध पक्ष के वकील भूुषण ओझा से भी कहा कि यह पुनर्निर्माण कार्य होने के बाद वे खुद कहेंगे कि यह तो प्रशंसनीय काम हुआ है।

महाधिवक्ता ने कहा कि गांधी आश्रम संग्रहालय के साथ के सभी ट्रस्टों को साथ में लेकर ही आश्रम के सामने वाले करीब 50 एकड के इलाकों का पुनर्निर्माण किया जाएगा। राज्य सरकार तथा नये ट्रस्ट के सदस्य गांधी आश्रम के संचालक सामाजिक कार्यकर्ता इलाबेन भट्टट,सामाजिक कार्यकर्ता कार्तिकेय साराभाई आदि से चर्चा करके ही पुनर्निर्माण का काम कराएंगे। जिनमें 1947 से 1950 के बीच बने साबुन बनाने का कारखाना जर्जर मकान शामिल हैं। आश्रम में स्थित ह्रदय कुंज, म्यूजियम, मगन निवास आदि जगहों को छेड़ा भी नहीं जाएगा।