
भोपाल । कोरोना वायरस के शहर में चार मरीज मिले हैं। इनकी रिपोर्ट गुरुवार को आई है। वहीं भोपाल में जुलाई के महीने में कोरोना से 29 मौतें हुई थीं। जबकि अगस्त में एक भी मौत नहीं हुई है। अगस्त में सिर्फ तीन मौतें हुई थीं। शहर में कोरोना संक्रमण से शुक्रवार को एक महिला मरीज की मौत हो गई है। महिला सीहोर की रहने वाली थी। उसका इलाज भोपाल के एक निजी अस्पताल में चल रहा था। वह 61 साल थी। कोरोना संक्रमण से यह जुलाई के बाद पहली मौत है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि महिला सीहोर की रहने वाली है। वह इलाज कराने एक निजी अस्पताल में आई थी जहां जांच कराने पर उसे कोरोना पाया गया था। तब से वह भर्ती थी। कोरोना जांच के नाम पर शहर में आए दिन विवाद हो रहे हैं। नौबत झूमाझटकी और हाथापाई तक बन रही है। जांच कराने से इंकार करने वाले पार्षद और विधायकों का नाम लेकर सैंपल लेने वाली टीम के कर्मचारियों को देख लेने की धमकी दे रहे हैं। यहां तक की कुछ तो जनप्रतिनिधियों से मोबाइल पर जबरन बात करने के लिए मजबूर करते हैं। कुछ ऐसे भी है जो स्वास्थ्य टीम को बंधा हुआ चेहरा दिखाने, परिचय पत्र दिखाने और कहा पदस्थ है यह बताने के लिए कह रहे हैं। इसको लेकर विवाद हो रहे हैं। इन तमाम स्थितियों से परेशान कर्मचारी शनिवार काली पट्टी बांधकर विरोध दर्ज कराएंगे। कोरोना की जांच से इंकार करने वाले ऐसे लोग तीसरी लहर के लिए जिम्मेदार बन सकते हैं। हालांकि कुछ आम नागरिकों का तर्क यह है कि बिना पूछताछ के कर्मचारी लक्ष्य पूरा करने के लिए जल्दबाजी में सैंपल लेना शुरू कर देते हैं। यह तक नहीं पूछते कि पूर्व में कब सैंपल दिया था। कई नागरिकों को तो बहुत कम समय के अंतराल में सैंपल देने पड़ रहे हैं। कर्मचारियों के व्यवहार को लेकर भी शिकायतें सामने आती रही हैं। गोविंदपुरा थाना क्षेत्र में बुधवार गुना जिले के रहने वाले एक युवक ने सैंपल देने से मना कर दिया। वह सैंपल लेने वाली टीम से प्रमाण पत्र मांगने लगा। इस बात को लेकर विवाद बढ़ गया और पुलिस तक पहुंच गया। इसके पूर्व काफी विवाद भी हुआ। युवक का कहना था कि सैंपल लेने वाले कर्मचारी ठीक से व्यवहार नहीं करते हैं। भोपाल रेलवे स्टेशन पर बीते सप्ताह एक यात्री और एक महिला स्वास्थ्यकर्मी के बीच विवाद हो गया। यात्री का कहना था कि उन्होंने हाल ही में सैंपल दिया था। बार-बार सैंपल देने में परेशानी होती है। जबकि स्वास्थ्यकर्मी का कहना था कि वे भी लोगों के स्वास्थ्य के लिए ही परेशान हो रहे हैं। पूरे दिन भीड़ में रहकर जांच कर रहे हैं। सहयोग करना चाहिए, न कि बहस करनी चाहिए।