जयपुर. राजस्थान कैडर के आईएएस कुंजीलाल मीणा (IAS Kunjilal Meena) ने सीएम अशोक गहलोत की तुलना राजा भगीरथ से करते हुए उनकी जमकर तारीफ की है. यूडीएच के प्रमुख सचिव कुंजीलाल मीणा ने जिस अंदाज में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) की तारीफों के पुल बांधे हैं वह सियासी और प्रशासनिक हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है. राज्य की ब्यूरोक्रेसी में अंदरखाने हलचल तेज हो गई है.मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पद संभालते कुंजीलाल मीणा के सीएम टू सेक्रेटरी बनने की चर्चा चली थी. अब जिस अंदाज में कुंजीलाल मीणा ने सीएम की तारीफ की है उससे ब्यूरोक्रेसी के हलकों में एक बार फिर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है. आमतौर पर आईएएस अफसर इतना खुलकर तारीफ करने से बचते रहे हैं. किसी पार्टी विशेष या नेता विशेष के प्रति ज्यादा झुकाव खुले आम नहीं दिखाया जाता है.
मीणा बोले सीएम गहलोत को हजारों वर्ष तक याद किया जाएगा
यूडीएच के प्रमुख सचिन कुंजीलाल मीणा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की यह तारीफ विकास कार्यों के वर्चुअल शिलान्यास और लोकार्पण कार्यक्रम में की. मीणा ने कहा कि जिस रूप में गंगा मैया को शिवजी की जटाओं से धरती पर उतारने में राजा भगीरथ के भगीरथी प्रयासों को आज भी याद किया जाता है उसी तर्ज पर मारवाड़ और राजस्थान में विकास रूपी गंगा को उतारने में मुख्यमंत्री गहलोत को हजारों बरसों तक याद किया जाता रहेगा.
मीणा तारीफ कर रहे थे और गहलोत मंद-मंद मुस्कुरा रहे थे
मीणा यहीं नहीं थमे और बोले जोधपुर शहर के विकास लिए भी उन्हें हजारों साल याद किया जाता रहेगा. 1980 से लेकर अब तक अलग अलग पदों पर रहते हुए गहलोत ने लगातार जो कार्य किये हैं उन्हें जोधपुर ही नहीं राजस्थान की जनता भी याद करती रहेगी. मुख्यमंत्री की वजह से आज जोधपुर विश्व के नक्शे पर आ गया है. राष्ट्रीय स्तर की जो संस्थाएं जोधपुर में हैं वो मुख्यमंत्री की देन हैं. मीणा जिस वक्त गहलोत की तारीफों के पुल बांध रहे थे उस वक्त वे मंद-मंद मुस्करा रहे थे. आम तौर पर वरिष्ठ आईएएस अफसर इस तरह किसी सीएम या मंत्री की तारीफ कम ही करते हैं.
जानें कौन थे महाराजा भगीरथ
महाराज भगीरथ अयोध्या के इक्ष्वाकु वंशी राजा थे. वे राजा दिलीप के पुत्र और महाराज अंशुमान के पौत्र थे. अंशुमान महाराज सगर के पुत्र थे. महाराज भगीरथ को ब्रह्माण्ड की पवित्र नदी गंगा को धरती पर लाने का श्रेय दिया जाता है. सदियों से मोक्ष दिलाने वाली गंगा को भगीरथ अपने पूर्वजों के मोक्ष के लिए लाए थे. लेकिन उसके बाद गंगा ने मानव की कई पीढ़ियों का उद्धार कर दिया और यह सब संभव हुआ भगीरथ की कठोर तपस्या से.