मुंबई। कोरोना महामारी की चपेट में आने से जिन बच्चों के माता-पिता की मृत्यु हुई है ऐसे अनाथ बच्चों के लिए महाराष्ट्र सरकार ने ऐतिहासिक निर्णय लिया है। दरअसल राज्य सरकार ने ऐसे बच्चों की सहायता के लिए उनके नाम ५ लाख रुपए की एकमुश्त राशि (फिक्स डिपॉजिट) जमा करने का निर्णय लिया है। साथ ही बच्चों के बालिग होने तक उनके पालन-पोषण का खर्च सरकार उठाएगी। इसके अलावा अगर बालक के पालन-पोषण के लिए परिवार का कोई इच्छुक नहीं होगा तो ऐसे बालकों को बाल सुधार गृह में रखा जाएगा। कल मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। बताया गया है कि इस योजना के तहत १ मार्च, २०२० को या उसके बाद कोरोना संक्रमण के कारण माता-पिता की मृत्यु हुई है, इसके अलावा एक अभिभावक की कोरोना के कारण मृत्यु हुई है अथवा अन्य अभिभावकों की मृत्यु अन्य बीमारी के कारण हुई हो, ऐसे ० से १८ वर्ष के बालकों को इस योजना में समावेश किया जाएगा। कोरोना के कारण माता-पिता दोनों की मौत से अनाथ हुए बच्चों का भविष्य अंधकार में न हो, इसके लिए एकमुश्त आर्थिक सहायता देने की योजना है। केंद्र सरकार ने पीएम केयर फंड योजना शुरू की है, इसके बाद भी महाराष्ट्र सरकार अपनी योजना शुरू करेगी। इस योजना के तहत बालकों को बाल सुधारगृह में दाखिल करके या संबंधित बालक के सगे-संबंधी पालन पोषण करेंगे, दोनों ही स्थिति में बालक के नाम पर पांच लाख रुपए एकमुश्त जमा किए जाएंगे, यह रकम बालक के २१ वर्ष पूरे होने पर ब्याज सहित मिलेगी। अनाथ बालकों का पालन-पोषण करने के लिए अगर उसके सगे संबंधी आगे आते हैं तो उनको बाल विकास विभाग के माध्यम से पालन-पोषण योजना के तहत अनुदान दिया जाएगा। फिक्स डिपॉजिट की रकम पूरी होने तक बालक और जिला महिला व बाल विकास अधिकारी का बैंक में संयुक्त खाता रहेगा। पारिवारिक वातावरण में रहने वाले और कोविड के कारण अनाथ हुए बच्चों को सुधार गृह में रहने की बजाए ऐसे अनाथ बच्चों को पारिवारिक वातावरण उपलब्ध हो और उनका समग्र विकास हो, इसके लिए आर्थिक सहायता योजना महत्वपूर्ण साबित होगी। जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला स्तरीय टास्क फोर्स का गठन किया गया है। यह टास्क फोर्स उन बच्चों के बारे में जानकारी जुटाएगी, जो कोरोना संक्रमण के कारण अनाथ हो गए हैं, बच्चों को अधिकतम सुरक्षा प्रदान करने व ऐसे बालकों को बाल श्रम, मानव तस्करी आदि का शिकार न हों, इसके साथ ही बच्चों के वित्तीय और संपत्ति के अधिकार बने रहें। इन सभी बातों की जिम्मेदारी टास्क फोर्स को दी गई है। इस योजना का लाभ लेने के इच्छुक बच्चों और कोरोना संक्रमण के कारण अनाथ हुए बच्चों के दस्तावेज जमा कर अनाथों को लाभ प्रदान करने के लिए जिम्मेदारी जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी की होगी। योजना के नियमों और शर्तों के बारे में विस्तृत जानकारी भी शासन द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी।
कोरोना से अनाथ हुए बच्चों का खर्च उठाएगी महाराष्ट्र सरकार
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