
मध्यप्रदेश में अपनी 6 सूत्रीय मांग को लेकर पिछले चार दिनों से हड़ताल पर गए जूनियर डॉक्टरों के इस कदम को हाईकोर्ट ने असंवैधानिक घोषित किया है। जूनियर डॉक्टरों को आदेश दिया है कि वे 24 घंटे के भीतर हड़ताल समाप्त कर फिर से काम पर लौट आएं। सरकार को निर्देश दिया है कि ऐसा न होने पर वह उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सकती है। हाईकोर्ट के इस सख्त आदेश के बाद जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन की रात में एक अहम बैठक बुलाई गई है। इसके बाद आगे का निर्णय होगा।
MP हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मो. रफीक और न्यायमूर्ति सुजय पॉल की डबल बेंच ने कोरोना काल में जूनियर डॉक्टरों की चल रही हड़ताल की निंदा की, और कहा कि इस अभूतपूर्व कठिन समय में डॉक्टरों को हड़ताल का सहारा नहीं लेना चाहिए था। यह एक महत्वपूर्ण समय है जब डॉक्टरों के कृत्य की सराहना नहीं की जा सकती जाती है। हाईकोर्ट ने जारी हड़ताल को अवैध घोषित करते हुए 24 घंटे के भीतर काम फिर से शुरू करने का निर्देश दिया।
जनहित याचिका पर हुई सुनवाई
डॉक्टर्स की हड़ताल के खिलाफ शैलेन्द्र सिंह ने जनहित याचिका लगाई थी। साल 2014 और 2018 में HC जूडा की हड़ताल को गलत बता चुका है। इसी दलील के साथ राज्य सरकार ने भी अपना पक्ष हाईकोर्ट में रखा था। सरकार की ओर से बताया गया कि जूडॉ के परिजनों की उनके कार्यस्थल पर मुफ्त इलाज की मांग मान ली गई है। मानदेय पर भी उचित निर्णय लेने पर विचार चल रहा है। सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है। तर्क रखा गया कि कोरोना काल में हड़ताल कर जूनियर डॉक्टर ब्लैकमेलिंग कर रहे हैं।
महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव।
जूडा को हड़ताल समाप्त कर लौटना होगा: महाधिवक्ता
महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव ने बताया कि हाईकोर्ट ने जूडा की हड़ताल काे अवैधानिक घोषित किया है। उन्हें 24 घंटे में काम पर वापस आने को कहा है। वे यदि 24 घंटे के भीतर काम पर नहीं आते हैं तो सरकार को निर्देशित किया है कि उस पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। जूडा की अधिकांश मांगे मान ली गई है। उनके परिवार के लोगों को जहां वे कार्यरत हैं, वहां फ्री में इलाज की सुविधा मिलेगी।
उनके ऊपर हमले पर सुरक्षा सरकार की जवाबदारी है। कोरोना के कारण स्टडी पीरियड को आगे बढ़ाया जा रहा है। उसकी अलग से फीस नहीं ली जाएगी। स्टायपेंड बढ़ाने की मांग है, तो 2018 व 2021 के बीच में इसे उचित तरीके से बढ़ाने को सरकार तैयार है। उनका मांग था कि पहले मीटिंग हो, फिर हड़ताल समाप्त करेंगे। सरकार का मत था कि पहले हड़ताल वापस लो, फिर बात करेंगे।
ये छह सूत्रीय मांग है जूडा की
स्टाइपेंड में 24 प्रतिशत बढ़ोत्तरी करके 55 हजार से बढ़ाकर 68 हजार 200, 57 हजार से बढ़ाकर 70 हजार 680 और 59 हजार से बढ़ाकर 73 हजार 160 रुपए कर दी जाए।
हर साल वार्षिक 6% की बढ़ोत्तरी भी हमारे स्टाइपेंड पर दी जाए।
पीजी करने के बाद एक साल के ग्रामीण बांड को कोविड की ड्यूटी के बदले हटाने के लिए एक कमेटी बनाई जाए, जो इस पर विचार करके अपना फैसला जल्द से जल्द सुनाए।
कोविड ड्यूटी में काम करने वाले हर जूनियर डॉक्टर को 10 नंबर का एक गजटेड सर्टिफिकेट मिले, जो आगे उसको सरकारी नौकरी में फायदा प्रदान करे।
कोविड ड्यूटी करने वाले सभी जूडा के परिवार के लिए अस्पताल में अलग से एक एरिया और बेड रिजर्व जाए। इलाज में प्राथमिकता के साथ सभी सुविधाएं फ्री ऑफ काॅस्ट मुहैया कराया जाए।
कोविड ड्यूटी में कार्यरत जूनियर डॉक्टर के अधिक कार्यभार को देखते हुए उन्हें उचित सुविधा प्रदान की जाए।
हड़ताल पर गए जबलपुर मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर।
अभी हमारे पास 24 घंटे का समय है: पंकज सिंह
जबलपुर जूनियर डॉक्टर एसाेसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर पंकज सिंह ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश पर हमारी एक बैठक रात में होने वाली है। इस बैठक में हम तय करेंगे कि आगे किस तरह से हम अपनी बात रखें। अभी 24 घंटे का समय मिला है, जो शुक्रवार दोपहर 3 बजे तक रहेगी। सरकार एक तरफ बात करने का नाटक कर रही है, दूसरी ओर उनके परिजनों पर बेवजह का दबाव बनाया जा रहा है।