
दो बच्चों के साथ 15 साल से मुंह के कैंसर को पाल रही आदिवासी महिला
बालाघाट जिले के वनांचल क्षेत्रों में बसने वाली आदिवासी जनता अपनी दुर्दशा के अलावा कई घातक बीमारियों से भी जूझ रही है। जिले की बिरसा तहसील की मछुरदा पंचायत के अन्तर्गत आने वाले वन बाहुल्य ग्राम गठिया में निवासरत आदिवासी महिला कुंवरिया बाई पिछले 15 सालों से मुंह के कैंसर जैसी घातक बीमारी को औलाद की तरह पाल रही हैं। वजह जानी गई, तो उन्होंने उपचार के लिये पैसे न होने की बात कही। महिला ने दर्द से कराहते हुये यह भी बताया कि उसके दो बच्चे हैं। दूसरे बेटे के जन्म के बाद से ही उन्हें इस रोग ने चपेट में ले लिया और धीरे-धीरे 15 साल बीत गये। हालत यह है कि महिला के चेहरे पर बडी सी गठान हो गई है और उसमें मवाद भी भर गया है। डाॅक्टर्स ने इसे कैसर जैसा ही बताकर इसका इलाज संभव होना बताया। वहीं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने भी बीएमओ, बिरसा से कहकर जांच करवाने व महिला को उपचार हेतु मेडिकल काॅलेज भेजने की बात कही है। परन्तु मुख्य बात यह है कि संबंधित स्वास्थ्य विभाग के संज्ञान में महिला के घातक बीमारी से पीडित होने की जानकारी क्यों नहीं आई ? आखिर कब तक पत्रकार ही प्रशासन का ध्यान आकर्षित करवाते रहेगें ? प्रशासनिक सिस्टम ऐसे गंभीर बीमारी वाले मामलों की खोजकर उन्हें सुलझाने/उपचार करवाने का प्रयास क्यों नही करता...? आयोग ने कलेक्टर तथा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, बालाघाट से मामले की गहनता से जांच कराकर पीडित महिला के इलाज के संबंध में की गई कार्यवाही का 15 दिवस में प्रतिवेदन मांगा है।