Gold Price: सोना परंपरागत रूप से भारतीय उपभोक्ताओं की पसंद रहा है। पिछले साल इसने 56 हजार के स्तर पर भी पार कर लिया था। हालांकि, बाद में यह ऊंचाई कायम नहीं रह पाई और यह 45 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम तक टूट गया। लेकिन सोने में एक बार फिर तेजी का दौर जारी है और 50 हजार रुपये का स्तर छूकर नीचे लौटा है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले दिनों में बढ़ती महंगाई, रुपये के मुकाबले डॉलर की चाल, सोने की मांग और क्रिप्टोकरेंसी के प्रति निवेशकों का रुझान सोने की कीमत पर बड़ा असर डालेंगी। विशेषज्ञों का कहना है कि सोना इस साल के अंत तक एक बार फिर 55 हजार के रुपये के स्तर को छू सकता है और इसके कई कारण हैं।पिछले छह माह में कमोडिटी की कीमतों में तेज इजाफा हुआ है। कमोडिटी के दाम बढ़ने से सोने पर दोहरी मार पड़ती है। सोना भी कमोडिटी है जिससे इसके दाम पर असर होता है। वहीं कमोडिटी में शामिल ईंधन 10 फीसदी महंगा होने से कुल खुदरा महंगाई करीब एक फीसदी बढ़ जाती है। इससे भी सोना महंगा हो जाता है।देश में सोने का बड़ी मात्रा में आयात होता है। डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होने पर सोने का आयात महंगा हो जाता है। इसका असर सोने की कीमतों पर होता है। वहीं रुपया मजबूत होने पर सोना सस्ता पड़ता है।सोने की कीमत दो तरह की मांग पर निर्भर होती है। इसमें पहली है निवेश और दूसरी है त्योहारी खरीद के लिए मांग। कोरोना संकट शुरू होने के बाद से सुरक्षित निवेश के रूप में केवल निवेश की मांग में तेजी आई है। जबकि लॉकडाउन की वजह से त्योहारी खरीद में कमी आई है। यदि टीकाकरण रफ्तार पकड़ता है और बाजार सामान्य दिनों की तरह खुलते हैं तो त्योहारी मांग में तेजी आएगी जिससे दाम बढेंगे।

मौजदा समय में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर निवेशकों में बहुत रुझान है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि क्रिप्टोकरेंसी को भारत समेत दुनिया के ज्यादातर देशों में मान्यता नहीं है। ऐसे में सोने की चमक फिलहाल फीकी पड़ने वाली नहीं है।

कहां तक जा सकता है सोने का भाव

आईआईएफएल के उपाध्यक्ष (कमोडिटी एवं करेंसी) अनुज गुप्ता का कहना है कि कोरोना संकट के बावजूद भी सोना निवेशकों का पसंदीदा माध्यम बना हुआ है और इसमें लंबी अवधि में तेजी का दौर जारी रहेगा। उनका कहना है कि इस साल दिवाली तक सोना फिर 55 हजार रुपये के स्तर पर पहुंच सकता है। गुप्ता का यह भी कहना है कि शेयर बाजार को लेकर जिस तरह का आशंका विशेषज्ञ जता रहे हैं यदि उसके अनुसार गिरावट आई तो सोने में बहुत तेज उछाल देखने को मिल सकती है। उनका कहना है कि सोना आम लोगों के साथ-साथ निवेशकों के साथ जुड़ा हुआ है जिसकी वजह से इसपर किसी तरह की अटकलबाजी का असर बहुत कम होता है।