बिहार में वॉटर मेट्रो की शुरुआत होने जा रही है. ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है, जो नेशनल और इंटरनेशनल जलमार्ग से बिहार में गंगा को जोड़ेगा. इससे बिहार के लोगों को ट्रैफिक से निजात मिलेगी. इसी साल अगस्त में पटना मेट्रो के फर्स्ट फेज का परिचालन शुरू होगा. इसके बाद वॉटर मेट्रो को चलाने की तैयारी शुरू होगी.

ये वॉटर मेट्रो उत्तर बिहार को NIT के पटना मेट्रो स्टेशन से जोड़ेगी. ये रोज यात्रा करने वाले लोगों के साथ-साथ पर्यटकों के लिए भी सुविधाजनक साबित होगी. इसके लिए केरल के कोच्चि मेट्रो रेल लिमिटेड के तीन ऑफिशियल की टीम पटना पहुंची. उन्होंने चार दिन तक इस योजना का प्रारूप तय किया और गंगा में कई जगहों की प्राइमरी स्टडी की.

ये जल क्षेत्र भी हैं शामिल
जिन जगहों का ऑफिशियल टीम ने अध्ययन किया. उनमें उत्तर में गंडक, सोनपुर, हाजीपुर, कोनहरा, दानापुर, दीघा, बिदुपुर, गायघाट, पहलेजा घाट जैसे जल क्षेत्र शामिल हैं. ये जानकारी  डायरेक्टर अरविंद कुमार ने दी और बताया कि सरकार की मदद से केरल सरकार केरल के कोच्चि शहर में सस्ते दाम पर वॉटर ट्रांसपोर्टेशन सर्विस लोगों के लिए उपलब्ध करा रही है.

इन राज्यों में भी शुरू करने की योजना
वॉटर मेट्रो की योजना की शुरुआत गंडक से मेट्रो चलाकर की जाएगी, जिसे पटना मेट्रो स्टेशन से जोड़ने की तैयारी है. यही नहीं बिहार के अलावा उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में भी वॉटर मेट्रो की शुरुआत करने की योजना है. इन राज्यों के कुछ चुनिंदा शहर प्रयागराज, वाराणसी, अयोध्या, गांधी नगर, श्रीनगर, जम्मू कश्मीर, बंगाल, गोवा, असम के ढुबरी व गुवाहाटी, मंगलुरु, कर्नाटक, महाराष्ट्र के मुंबई व वसई, अंडमान निकोबार, लक्षद्वीप शामिल हैं.

कितना होगा वॉटर मेट्रो का किराया?
वहीं गंगा के साथ ब्रह्मपुत्र नदी, डल झील, अंडमान और लक्षद्वीप में द्वीपों को भी इसमें जोड़ा जाएगा वॉटर मेट्रो के किराए को लेकर निदेशक ने बताया कि वॉटर मेट्रो का किराया 20 से 40 रुपये तक होगा. ऐसे में वॉटर मेट्रो का किराया दिल्ली मेट्रो से कम होगा. दिल्ली मेट्रो का अधिकतम किराया 60 रुपये है. लेकिन वॉटर मेट्रो का अधिकतम किराया 40 रुपये हैं. इस वॉटर मेट्रो में 50 यात्री के बैठने और उनके साथ 50 यात्री खड़े होकर सफर कर सकते हैं. यानी 100 यात्रियों के सफर करने की व्यवस्था है. IWAI डायरेक्टर ने बताया कि गंगा में वॉटर मेट्रो चलाने के लिए एक मीटर से कम पानी की जरूरत है.