बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे सियासी तपिश बढ़ती जा रही है. पलायन और रोजगार के मुद्दे राजनीतिक दलों के अभियानों के केंद्र में आ गए हैं. सत्तापक्ष और विपक्ष के सभी दल इन मुद्दों को अपनी रणनीति का मुख्य आधार बना रहे हैं. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी गुरुवार को अपने नेताओं की पूरी फौज के साथ बिहार की रणभूमि में उतर रहे हैं, जहां उनके सियासी एजेंडे के केंद्र में दलित समाज रहने वाला है. दलित छात्रों के साथ संवाद करने से लेकर सिनेमा देखने तक की स्ट्रैटेजी राहुल गांधी ने बनाई है.

कांग्रेस के युवा नेता कन्हैया कुमार की अगुवाई में ‘पलायन रोको, नौकरी दो’ यात्रा निकालकर पहले ही बिहार में प्रवास और बेरोजगारी के मुद्दों को सियासी केंद्र में ला दिया है. अब राहुल गांधी उसे सियासी धार देने और सियासी समीकरण सेट करने के लिए कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के साथ उतर रहे हैं. बिहार में सभी जिलों में कांग्रेस नेता ‘शिक्षा न्याय संवाद’ कार्यक्रम के जरिए दलित और अतिपिछड़े वर्ग के छात्रों के साथ रोजगार और शिक्षा के मुद्दे पर चर्चा करेंगे.

राहुल करेंगे ‘शिक्षा न्याय संवाद’ का आगाज
बिहार के दरभंगा से राहुल गांधी ‘शिक्षा न्याय संवाद’ कार्यक्रम की शुरुआत करेंगे. राहुल का यह कार्यक्रम अंबेडकर हॉस्टल में होना था, लेकिन अनुमति नहीं मिली. ऐसे में दरभंगा के नगर भवन में राहुल गांधी दलित छात्र-छात्राओं से संवाद करेंगे. इसी दौरान कांग्रेस के 60 से ज्यादा राष्ट्रीय स्तर के नेता बिहार के अलग-अलग जिलों में करीब 75 जगह पर संवाद कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे. ये कॉलेज, विश्वविद्यालय एवं छात्रावासों का दौरा करके छात्रों से संवाद करेंगे. इस कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों व युवाओं के बीच शिक्षा के अधिकार और सामाजिक न्याय को लेकर जागरूकता फैलाना है.

कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और बिहार के सह प्रभारी सुशील पासी कहते हैं कि बिहार में सबसे बड़ी समस्या बेहतर शिक्षा और रोजगार की है. बिहार के छात्रों को बेहतर शिक्षा और नौकरी के लिए लगातार पलायन करना पड़ रहा है, जिसमें सबसे बड़ी समस्या दलित समाज के लोगों को उठानी पड़ रही है. आर्थिक और सामाजिक रूप से दलित समाज के लोग काफी कमजोर हैं, जिसके चलते वो न तो अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा दिला पा रहे हैं और न ही रोजगार मिल पा रहा है. इसके चलते ही उनको पलायन करना पड़ रहा है, राहुल गांधी और कांग्रेस नेता दलित समाज की समस्या को जानने और समझने के लिए भी शिक्षा न्याय संवाद करेंगे.

कांग्रेस के ‘शिक्षा न्याय संवाद’ का मकसद?
सुशील पासी ने बताया कि कांग्रेस के ‘शिक्षा न्याय संवाद’ कार्यक्रम का मतलब दलित, पिछड़े और अतिपिछड़े वर्ग के लोगों को शिक्षा-नौकरी में सामाजिक न्याय दिलाने का है. शिक्षा न्याय संवाद’ के माध्यम से कांग्रेस शैक्षणिक सत्र में देरी, प्रश्न पत्र लीक, चरमराती शिक्षा-व्यवस्था जैसे मुद्दों को जोर-शोर से उठाएगी. कांग्रेस के शिक्षा न्याय संवाद को पांच प्वाइंट में समझ सकते हैं…

1 आरक्षण की 50 फीसदी सीमा हटाने का है. आरक्षण की लिमिट 50 फीसदी है, जिसे ज्यादा बढ़ाने पर सुप्रीम कोर्ट रोक लगा रही है. कांग्रेस इस लिमिट को खत्म कर उसे ज्यादा करने की मांग कर रही है. कांग्रेस चाहती है कि समाज में जिसकी जितनी भागीदारी है, उसे उतना आरक्षण दिया जाए.

2 दलित-आदिवासी पर सब-प्लान लागू करें. अनुच्छेद 46 और 47 के अनुसार एससी और एसटी के विकास के लिए संविधान द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करना. एससी और एसटी के सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देना व सामाजिक न्याय प्रदान करना. विकास योजनाओं में एससी-एसटी की भागीदारी सुनिश्चित करने व समान अवसर प्रदान करने की है. जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सामाजिक सुरक्षा.

3 शिक्षा का इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर करने की मांग- कांग्रेस बिहार में शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने और उसे बेहतर बनाने की मांग कर रही है. कांग्रेस के नेता शिक्षा न्याय संवाद के जरिए इसी मांग को उठाने का काम करेंगे.

4 कर्ज नहीं, नौकरी दो- कांग्रेस नेता शिक्षा न्याय संवाद के जरिए मांग उठाएंगे कि कर्ज नहीं बल्कि रोजगार दीजिए. इसके जरिए कांग्रेस नेता और राहुल गांधी की रणनीति बीजेपी की मोदी सरकार को टारगेट पर रखने की है.

5 3 साल की डिग्री, 3 साल में ही दो- कांग्रेस नेता बिहार में मांग उठाएंगे कि परीक्षा समय पर कराई जाए और रिजल्ट में देर न की जाए. हाल के दिनों में देखा गया है कि बिहार के कई विश्वविद्यालयों में परीक्षा में देर-सबेर हो रही है. तीन साल की डिग्री को पूरा करने में चार से पांच साल लग जा रहे हैं. बिहार के छात्र इस बात को लेकर लगातार मांग उठाते रहे हैं.

पटना में फुले फिल्म देखेंगे राहुल गांधी
राहुल गांधी बिहार के दरभंगा में शिक्षा न्याय संवाद कार्यक्रम का आगाज करने के बाद सीधे पटना पहुंचेंगे. पटना में वे विभिन्न सामाजिक संगठन के प्रतिनिधियों के साथ पहले बातचीत करेंगे. पी एंड एम मॉल में ईबीसी विचारक ज्योतिराव फुले पर आधारित ‘फुले’ सिविल सोसायटी के प्रतिनिधि दलित समुदाय के लोगों के साथ दिखेंगे. यह फिल्म समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले के जीवन पर आधारित है, जिन्होंने समाज के वर्ण व्यवस्था पर गहरी चोट की है. दलित-पिछड़ों के बीच ज्योतिबा फुले की अपनी सियासी अहमियत है.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी बिहार में सामाजिक न्याय के एक्टिविस्टों के साथ फुले फिल्म देखकर सियासी संदेश देने की कवायद करेंगे. बिहार सामाजिक न्याय के आंदोलन की भूमि रही है. ज्योतिबा फुले भले ही महाराष्ट्र से ताल्लुक रखते रहे हों, लेकिन बिहार में उनकी अपनी सियासी अहमियत है, खासकर दलित और अति पिछड़े समुदाय उन्हें अपना मसीहा मानता है. बसपा के संस्थापक कांशीराम की राजनीति में ज्योतिबा फुले का अहम रोल हुआ करता था. सामाजिक न्याय की धुरी माने जाते हैं.

कांग्रेस दलित राजनीति को देगी धार
कांग्रेस का छात्र-युवाओं पर फोकस है, लेकिन उसकी नजर दलितों को साधने की है. बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी कांग्रेस जोर शोर से लगी हुई है. राहुल गांधी बिहार में कांग्रेस संगठन में जान फूंकने में लगे हुए हैं. संगठन को धारदार बनाना चाहते हैं. ऐसे में कांग्रेस की नजर दलित वोट बैंक पर है. कांग्रेस ने पिछले दिनों अखिलेश प्रसाद सिंह को हटाकर राजेश कुमार को बिहार का प्रदेश अध्यक्ष बनाया. इसके अलावा सुशील पासी को बिहार का सह-प्रभारी बनाकर कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि इस बार वह बिहार में दलित समीकरण पर ही केंद्रित राजनीति करेगी.

सूबे में 17 फीसदी दलित वोट हैं. बिहार की कुल 243 विधानसभा सीटों में से 38 सीटें अनुसूचित समुदाय और दो सीटें अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित हैं. दलित वोटर किसी एक पार्टी से जुड़ा हुआ नहीं है, यही वजह है कि राहुल गांधी 17 फीसदी दलित वोटों को अपने साथ जोड़ने की कोशिश में है, जिसके लिए लगातार बिहार के दौरे कर रहे हैं. पांच महीने में राहुल गांधी का चौथा बिहार दौरा है.