
एशिया के सबसे अमीर शख्स और दिग्गज कारोबारी मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL ) एशियन पेंट्स में अपनी हिस्सेदारी बेचने की तैयारी कर रही है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी एशियन पेंट्स में 4.9% हिस्सेदारी को बेचने की योजना पर फिर से विचार कर रही है. इस स्कीम के तहत रिलायंस कंपनी में अपने 17 साल पुराने निवेश को कैश कराएगी.इकोनॉमिक्स टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ये प्रस्ताव ऐसे समय में आया है, जब दिग्गज पेंट कंपनी को मार्जिन प्रेशर और बढ़ते कम्पटीशन का सामना करना पड़ रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, रिलायंस ने एक या एक से अधिक ब्लॉक डील के जरिए इस लेनदेन की योजना बनाई है. लेनदेन को मैनेज करने की जिम्मेदारी बैंक ऑफ अमेरिका (BoFA) की है.
क्या है मामला?
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) ने एशियन पेंट्स से अपने निवेश को समाप्त करने की योजना बनाई है और इसके लिए कंपनी 1.3 बिलियन डॉलर (लगभग 10,700 करोड़ रुपये) की कीमत तय कर सकती है. यह कदम रिलायंस की रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत वह अपने नॉन-कोर बिजनेस से बाहर निकलकर मुख्य क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना चाहती है.
कैसे हुई शुरुआत?
रिलायंस ने कई साल पहले एशियन पेंट्स में निवेश किया था. लेकिन अब कंपनी अपने पोर्टफोलियो को सुव्यवस्थित करना चाहती है और उन क्षेत्रों पर फोकस करना चाहती है, जहां उसका सबसे अधिक प्रभाव है, जैसे कि ऊर्जा, खुदरा और डिजिटल सेवाएं. एशियन पेंट्स से बाहर निकलने का फैसला इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
क्यों महत्वपूर्ण है यह सौदा?
- बड़ी रकम का लेनदेन: रिलायंस को इस एग्जिट से 1.3 बिलियन डॉलर की भारी राशि प्राप्त होगी.
- एशियन पेंट्स के लिए अवसर: रिलायंस के बाहर होने से एशियन पेंट्स को अपने संचालन में अधिक स्वतंत्रता मिल सकती है और वह नए रणनीतिक निवेशकों को आकर्षित कर सकती है.
- रिलायंस की रणनीति का हिस्सा: कंपनी का फोकस अब ऊर्जा, रिटेल और डिजिटल सेवाओं पर है, जहां वह पहले से ही मार्केट लीडर है.
क्या होगा अगला कदम?
रिलायंस इस फंड का इस्तेमाल अपने अन्य व्यवसायों में विस्तार और डिजिटल और हरित ऊर्जा क्षेत्रों में निवेश के लिए कर सकती है. दूसरी ओर, एशियन पेंट्स इस हिस्सेदारी को नए निवेशकों को बेच सकती है या अपनी स्वयं की हिस्सेदारी को बढ़ा सकती है.
रिलायंस का यह कदम दिखाता है कि कंपनी अपने कोर बिजनेस पर केंद्रित रहते हुए नॉन-कोर एसेट्स से बाहर निकलने की नीति पर तेजी से काम कर रही है. इस फैसले से रिलायंस अपने भविष्य की योजनाओं को और मजबूत बना सकेगी.