
नई दिल्ली |विदेश मंत्री एस जयशंकर बुधवार को बाइडन प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठकों की एक सीरीज के लिए वाशिंगटन डीसी पहुंचे हैं, जिसमें पहले 100 दिनों के दौरान द्विपक्षीय संबंधों में हुई प्रगति की समीक्षा करने और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के शेष कार्यकाल के लिए आधार तैयार किए जाने की उम्मीद है।
विदेश मंत्री टोनी ब्लिंकन से मिलेंगे जयशंकर
यहां तीन दिवसीय दौरे में जयशंकर का अपने अमेरिकी समकक्ष, विदेश मंत्री टोनी ब्लिंकन, रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन के साथ बाइडेन प्रशासन के अन्य प्रमुख सदस्यों से मिलने का कार्यक्रम है। पेंटागन के प्रेस सचिव जॉन किर्बी ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "(रक्षा) सचिव शुक्रवार को भारत के विदेश मंत्री जयशंकर के साथ वाशिंगटन की भारत की पहली कैबिनेट स्तर की यात्रा के हिस्से के रूप में बैठक करेंगे।"
किर्बी ने कहा "सचिव विदेश मंत्री के साथ बैठक कर रहे हैं, दोनों मार्च में नई दिल्ली में हुई चर्चा को जारी रखेंगे। हम उन्हें यहां पेंटागन में मिलने के लिए उत्सुक हैं और बेहतर बातचीत की उम्मीद के साथ उनकी मेजबानी कर रहे हैं"।
अमेरिका-भारत संबंधों की बेहतरी लिए है "बड़ा एजेंडा"
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कहा कि भारत-अमेरिका संबंध दुनिया के प्रमुख संबंधों में से एक हैं और नयी दिल्ली तथा वाशिंगटन के सामने चुनौती यह है कि अपनी मौलिक, सामाजिक और भू-राजनीतिक स्थिति को कार्रवाई योग्य नीतियों में कैसे बदला जाए। इस बात पर जोर देते हुए कि अमेरिका-भारत संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए उनके पास "बड़ा एजेंडा" है, जयशंकर ने कहा, "मुझे लगता है कि हमारे रिश्ते एक लंबा सफर तय कर चुके हैं। यह आज दुनिया के प्रमुख संबंधों में से एक है और मेरी अपनी समझ है कि आज वाशिंगटन में, इस संबंध की क्षमता का वास्तविक मूल्यांकन हुआ है, यह क्या कर सकता है। और यही सच्चाई नयी दिल्ली के साथ भी है।"
हूवर इंस्टीट्यूशन द्वारा प्रस्तुत 'भारत: एक रणनीतिक साझेदारी के लिए अवसर और चुनौतियां' नामक विषय पर आयोजित 'बैटलग्राउंड' सत्र में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जनरल एचआर मैकमास्टर के साथ डिजिटल बातचीत के दौरान, जयशंकर ने कहा कि कोविड-19 महामारी के प्रभाव, विभिन्न शक्तियों के उदय जैसे मुद्दों को ध्यान में रखते हुए आज हम सभी मानते हैं कि यह एक या दो या तीन देशों का सवाल नहीं है जो यह तय करेंगे कि दुनिया किस स्थिति में है।"
अमेरिका-भारत संबंधों पर एक सवाल का जवाब देते हुए जयशंकर ने कहा, "दुनिया वास्तव में बहुत अधिक बहुध्रुवीय है और अगर यह बहुध्रुवीय है, तो देशों के लिए यह सीखना और भी महत्वपूर्ण है कि एक-दूसरे के साथ अधिक प्रभावी ढंग से कैसे काम किया जाए। और मैं इस संबंध में अमेरिकी मानसिकता में एक बड़ा बदलाव देखता हूं।"