
वाशिंगटन। कोरोना कहां से आया? ये प्राकृतिक है या इसे लैब में बनाया गया है। यह पहेली साल 2020 की शुरुआत से अब तक नहीं सुलझ पाई है। दुनिया में करोड़ों लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं, कई लाख जिंदगियां कोरोना से हार चुकी हैं लेकिन अभी तक इस सवाल का जवाब नहीं मिला है कि कोरोना वायरस कहां पैदा हुआ? इस बीच प्रसिद्ध अमेरिकी विशेषज्ञ डॉ. एंथनी फासी और कई अमेरिकी विशेषज्ञों नें कोरोना की उत्पत्ति की जांच की मांग की है। अमेरिकी विशेषज्ञों ने कहा है कि कोरोना की उत्पत्ति की जांच जारी रहनी चाहिए। उन्होंने डब्ल्यूएचओ से कोरोना की उत्पत्ति की दोबारा जांच की मांग की है। साथ ही चीन से इस बार जांच में पारदर्शी रहने की बात भी कही गई है। व्हाइट हाउस के मुख्य चिकित्सा सलाहकार डॉ़. फासी ने एक कार्यक्रम में कहा, हम दृढ़ता से महसूस करते हैं कि हमें इसको लेकर जांच जारी रखनी चाहिए और जांच के अगले चरण में जाना चाहिए जो डब्ल्यूएचओ ने किया है। उन्होंने कहा कि क्योंकि हम नहीं जानते हैं कि (कोरोना वायरस) की उत्पत्ति क्या है, इसलिए यह जरूरी है कि हम देखें और इसकी जांच करें।
व्हाइट हाउस के सीनियर एडवाइजर फॉर कोविड रिस्पॉन्स ऑन वायरस ऑरिजिन ने कहा कि हमें चीन से पारदर्शी प्रक्रिया की जरूरत है। हमें उस मामले में मदद करने के लिए डब्ल्यूएचओ की जरूरत है, ऐसा मत सोचो कि हमारे पास अभी है। हमें इसकी तह तक जाने की जरूरत है, जो भी जवाब हो और यह हमारे लिए महत्वपूर्ण प्राथमिकता है। इससे पहले अमेरिका ने चीन को लेकर एक खुफिया रिपोर्ट लाई। अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट में दावा किया गया कि दुनिया के सामने कोरोना महामारी उजागर होने के एक माह पहले ही इस प्रयोगशाला के तीन कर्मचारी न सिर्फ बीमार पड़े थे, बल्कि उन्होंने अस्पताल में इलाज भी कराया था। वॉल स्ट्रीट जर्नल में प्रकाशित इस रिपोर्ट में प्रयोगशाला के बीमार शोधकर्ताओं की संख्या, उनके बीमार पड़ने के समय और अस्पताल जाने से जुड़ी विस्तृत जानकारियां दी गई हैं। खास बात है कि यह अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की कोरोना उत्पत्ति पर अगले चरण की जांच संबंधी चर्चा को लेकर होने वाली बैठक के ठीक पहले आई। इसके चलते माना जा रहा है कि डब्ल्यूएचओ के लिए इसे नजरअंदाज करना आसान नहीं होगा। हालांकि, चीन ने इस खुफिया रिपोर्ट को नकार दिया है। इस खुलासे के बाद प्रयोगशाला से वायरस फैलने की आशंका को लेकर डब्ल्यूएचओ के समक्ष व्यापक जांच की मांग फिर जोर पकड़ सकती है। गौरतलब है कि इससे पहले भी कई अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों में वुहान प्रयोगशाला से वायरस लीक होने को लेकर चीन पर आरोप लगता रहा है।