महाराष्ट्र की सियासत में कुछ बड़ा होने की आहट सुनाई दे रही है. ठाकरे बंधुओं के बीच सुलह समझौते की पठकथा लिखी जा रही है तो ‘पवार परिवार’ में भी एकता की स्क्रिप्ट तैयार हो रही है. राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे ने 20 साल बाद एक साथ आने के संकेत दे दिए हैं तो पवार परिवार में चाचा शरद पवार और भतीजे अजित पवार के बीच लगातार तीन मुलाकातें हो चुकी हैं. ऐसे में शरद की बेटी सांसद सुप्रिया सुले ने भी पवार परिवार की एकता को लेकर बड़े संकेत दिए हैं.

शरद पवार की उंगली पकड़कर राजनीति का ककहरा सीखने वाले डिप्टी सीएम अजित पवार ने पौने दो साल पहले अपनी सियासी राह अलग चुन ली थी. शरद पवार के हाथों से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) भी छीन ली और फिर बीजेपी के साथ हाथ भी मिला लिया था.

महाराष्ट्र में अभी पुनर्मिलन का दौर

इन दिनों चाचा-भतीजे के बीच फिर से मेल-जोल बढ़ रहा है और हाल ही में दोनों दिग्गजों के बीच 3 मुलाकातें हो चुकी हैं. फिलहाल अजित पवार एनडीए में हैं और महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार में डिप्टी सीएम के रूप में काम कर रहे हैं. वहीं, शरद पवार की पार्टी एनसीपी (एसपी) महाविकास अघाड़ी गठबंधन में कांग्रेस और शिवसेना के उद्धव गुट के साथ है.

शरद-अजित पवार की मुलाकातों से कयासों का दौर शुरू हो गया है और सवाल उठ रहा है कि ‘पवार परिवार’ क्या फिर से एक हो पाएगा? ये सवाल सिर्फ पवार फैमिली का नहीं बल्कि देश भर के लोग सोचते हैं. चाचा-भतीजे अगर फिर से एक होते हैं तो उसका सियासी असर महाराष्ट्र से लेकर दिल्ली की राजनीति पर पड़ेगा?

सुप्रिया सुले ने भी दिए बड़े संकेत

शरद पवार की बेटी और सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि पवार परिवार कभी अलग ही नहीं हुआ था, सभी भाई-बहन हमारे पूर्वजों के सिखाए मूल्यों के साथ पले बढ़े हैं. हमारे बीच राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन हमने उससे अपने निजी संबंधों को प्रभावित नहीं होने दिया. अजित के ओर से शरद पवार पर नरम रूख अपनाने के सवाल पर सुप्रिया सुले ने कहा कि अगर दादा नरम हो गए हैं, तो सभी ने इसका स्वागत किया है. ऐसे में दोनों धड़ों के एक होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं मिला, लेकिन शरद पवार और अजित पवार जो भी निर्णय लेंगे उसे स्वीकार किया जाएगा.

शरद पवार के पोते विधायक रोहित पवार ने भी अजित पवार और शरद पवार के बीच हुई मीटिंग पर कहा था कि पवार परिवार को फिर से एक होना चाहिए. रोहित पवार ने कहा था कि इस तरह के पुनर्मिलन के लिए एनसीपी के दो गुटों में से एक को अपनी विचारधारा को अलग रखना होगा. एनसीपी (एसपी) प्रमुख शरद पवार और एनसीपी प्रमुख अजित पवार दोनों ही फैसला करेंगे. पवार छह दशकों से अपनी विचारधारा पर अड़े हुए हैं. एनसीपी नेताओं और पवार परिवार की इच्छा के बाद सभी के मन में सवाल है कि शरद पवार और अजित पवार का साथ आना क्या संभव है?

चाचा-भतीजे के बीच एकता होगी

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद सियासी स्थिति बदल गई है. विधानसभा चुनाव की बाजी जीतकर अजित पवार भले ही पावरफुल नजर आ रहे हों, लेकिन सत्ता की बागडोर संभालने का सपना अभी भी अधूरा है. मतलब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने का. अजित पवार भले ही काफी मजबूत स्थिति में नजर आ रहे हों, और शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे से भी बेहतर स्थिति में दिख रहे हों. बावजूद इसके अजित पवार खेमे को लगता है कि शरद पवार के आने से कई सियासी मुश्किलें भी आसान हो सकती हैं.

वहीं, अजित पवार के सियासी उभार के बाद शरद पवार के सामने कुछ नई मुश्किलें खड़ी हो गई हैं. शरद पवार के सामने अपनी बेटी सुप्रिया सुले को सियासी तौर पर स्थापित करने की चुनौती खड़ी हो गई है. इसके चलते ही एनसीपी के दोनों धड़े एक होने की वकालत कर रहे हैं और साथ सारे गिले और शिकवे भुलाने की बात कर रहा है. ऐसे में पवार परिवार की एकता महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा मोड़ साबित हो सकती है, और इसका असर न सिर्फ राज्य की सियासत पर, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर INDIA गठबंधन की रणनीति और संतुलन पर भी पड़ेगा.

चाचा-भतीजे की एकता का असर

अगर महाराष्ट्र की सियासत में पवार परिवार फिर से एकजुट हो जाता है यानी शरद पवार, अजित पवार और सुप्रिया सुले मिलते हैं तो एनसीपी फिर से एक मजबूत राजनीतिक ताकत बन सकती है. इसका असर महाराष्ट्र से लेकर दिल्ली तक की सियासत पर पड़ेगा. शरद पवार राजनीति के मंझे खिलाड़ी हैं, वे इंडिया गठबंधन में जरूर हैं, लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर सीएम देवेंद्र फडणवीस तक से उनके अच्छे संबंध हैं. अजित-शरद के साथ आने से एकनाथ शिंदे की राजनीति पर जरूर असर पड़ेगा.

पिछले 11 सालों से शरद पवार सत्ता से बाहर हैं जबकि अजित पवार महाराष्ट्र की सरकार में डिप्टी सीएम हैं. ऐसे में साफ है कि अजित पवार खुद तो सत्ता नहीं छोड़ेंगे और शरद पवार को ही समझौता करना होगा. एनसीपी नेता माजिद मेनन भी ऐसा ही मानते हैं कि अजित पवार के लिए सत्ता छोड़ना आसान नहीं है. इस तरह साफ है कि शरद पवार को ही एनडीए गठबंधन का हिस्सा बनना पड़ेगा.

सुप्रिया सुले क्या केंद्र में बनेंगी मंत्री

शरद पवार इंडिया गठबंधन के मुख्य नेता गिने जाते हैं. ऐसे में अगर अजित पवार से वो हाथ मिलाते हैं तो इंडिया गठबंधन के लिए बड़ा झटका होगा. विपक्षी एकता के लिए बड़ा झटका होगा. इसके अलावा शरद पवार अपनी बेटी सुप्रिया सुले को केंद्र में मंत्री बनवा सकते हैं. सुप्रिया सुले मोदी सरकार में मंत्री बन सकती है. अजित पवार महाराष्ट्र की सियासत में मजबूत होंगे. इस तरह अजित पवार की बगावत से जो छवि धूमिल हुई हैं, उन्हें दोबारा से मजबूती मिल सकती है.

महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार को फिलहाल अजित पवार की एनसीपी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना का समर्थन हासिल है. शरद पवार और अजित पवार एक हो जाते हैं तो महाराष्ट्र की राजनीति में शिंदे की निर्भरता कम होगी. बीजेपी फ्रंटफुट पर खेलेगी और शिंदे ही नहीं बल्कि ठाकरे परिवार की राजनीति पर भी असर पड़ेगा. यही वजह है कि शरद-अजित पवार की मुलाकात उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) के निशाने पर है.