जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने अरबिंदो मेडिकल कॉलेज के संचालक और व्यापमं महाघोटाले के आरोपी डॉ. विनोद भंडारी को जमानत का लाभ देने से इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश एएम खानविलकर और जस्टिस केके त्रिवेदी की खंडपीठ ने कहा कि डॉ. भंडारी फर्जीवाड़े की साजिश रचने वाले मुख्य सरगनाओं का एक हिस्सा हैं। हाईकोर्ट ने अपने विस्तृत फैसले में कहा कि एसटीएफ द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों और चार्जशीट से प्रथम दृष्टया आरोपी की भूमिका सीधे तौर पर साबित होती है।
कोर्ट ने कहा कि यदि डॉ. भंडारी के खिलाफ आरोप सिद्ध हो जाते हैं तो संबंधित धाराओं में आजीवन कारावास की सजा भी हो सकती है। हाईकोर्ट ने सोमवार दोपहर फैसला सुनाते हुए कहा कि डॉ. विनोद भंडारी पर आठ छात्रों को व्यापमं परीक्षा में लाभ पहुंचाने के बदले बड़ी मात्रा में पैसों के लेन-देन का आरोप है। इसके अलावा भंडारी पर अन्य परीक्षाओं में भी आठ छात्रों को अवैध तरीके से प्रवेश दिलाने का मामला दर्ज है।
इधर प्रकरण दर्ज, उधर विदेश रवाना
हाईकोर्ट ने जमानत आवेदन पर फैसला देते हुए कहा कि डॉ. भंडारी अपनी साख का इस्तेमाल कर साक्ष्यों और गवाहों को प्रभावित कर सकता है। अभी इस मामले में जांच पूरी नहीं हुई है। डॉ. भंडारी के खिलाफ जैसे ही प्रकरण दर्ज हुआ था वह तत्काल विदेश भाग गया था। इसके बाद जब निचली अदालत ने 16 जनवरी को अग्रिम जमानत दी, तब वह 21 जनवरी को भारत लौटा। कोर्ट ने इन सभी मुद्दों को ध्यान में रखते हुए डॉ. भंडारी की जमानत अर्जी खारिज कर दी।
आईटी एक्ट में भी आरोपी
एसटीएफ ने डॉ. भंडारी को 30 जनवरी 2014 को गिरफ्तार किया था। भादंवि की धारा 420, 467, 468, 471 एवं 120बी, मप्र मान्यता प्राप्त परीक्षा अधिनियम 1937 की धारा 3 (डी), 1, 2/4 के अलावा आईटी एक्ट की धारा 65 और 66 के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया है। निचली अदालत ने पांच फरवरी को भंडारी की पहली जमानत अर्जी खारिज की थी। भंडारी ने इसके बाद हाईकोर्ट ने जमानत के लिए आवेदन दायर किया था, जिसे बाद में वापस ले लिया था। निचली अदालत से 9 मई को जमानत आवेदन खारिज होने के बाद भंडारी ने नियमित जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
काम नहीं आई दलील
डॉ. भंडारी की ओर से जमानत का लाभ पाने दी गई कोई भी दलील काम नहीं आई। आरोपी की ओर से कहा गया कि जहां तक जांच का सवाल है तो उसके खिलाफ जांच पूरी हो गई है। जांच एजेंसी ने कोर्ट में चालान भी पेश कर दिया है और ऎसी स्थिति में आरोपी जमानत पाने का हकदार है। भंडारी की ओर से कहा गया कि वह अपना पासपोर्ट सरेंडर करने तैयार है ताकि कोर्ट को यह विश्वास दिला सके कि वह विदेश नहीं जाएगा। इसके अलावा आरोपी ने ट्रायल के दौरान हर दिन पुलिस थाने में हाजिर होने का भी आश्वासन दिया।
पीएससी पर्चा लीक करने वाले की अर्जी भी खारिज
हाईकोर्ट ने लोक सेवा आयोग की परीक्षा का पर्चा लीक करने के मामले में बनाए आरोपी सुखसागर द्विवेदी की जमानत अर्जी खारिज कर दी। द्विवेदी पर आरोप है कि उसने आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी परीक्षा का पेपर बनाया था और बाद में पैसे लेकर सुरेंद्र पटले को पर्चा लीक किया था। पीएससी द्वारा 18 मई 2014 को परीक्षा ली जानी थी। पर्चा लीक होने की खबर आने पर परीक्षा निरस्त कर दी गई। इंदौर निवासी द्विवेदी से पर्चा लेकर सुरेंद्र ने उसे कई अभ्यर्थियों को बेचा।
पुलिस द्वारा चालान पेश करने के बाद द्विवेदी ने नियमित जमानत के लिए आवेदन पेश किया था। चालान में यह बात साबित हुई कि पर्चा लीक करने में द्विवेदी की अहम भूमिका है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने पाया ऎसी स्थिति में पीएससी जैसी परीक्षाओं की साख खराब होती है। पर्चा लीक होने से परीक्षा निरस्त हो गई और कई योग्य छात्रों का अधिकार मारा गया। जस्टिस जीएस सोलंकी की एकलपीठ ने आरोपी को जमानत का लाभ देने से इनकार कर दिया। राज्य सरकार की ओर से उप महाधिवक्ता विजय शंकर पांडेय ने पैरवी की।
कोर्ट ने कहा कि यदि डॉ. भंडारी के खिलाफ आरोप सिद्ध हो जाते हैं तो संबंधित धाराओं में आजीवन कारावास की सजा भी हो सकती है। हाईकोर्ट ने सोमवार दोपहर फैसला सुनाते हुए कहा कि डॉ. विनोद भंडारी पर आठ छात्रों को व्यापमं परीक्षा में लाभ पहुंचाने के बदले बड़ी मात्रा में पैसों के लेन-देन का आरोप है। इसके अलावा भंडारी पर अन्य परीक्षाओं में भी आठ छात्रों को अवैध तरीके से प्रवेश दिलाने का मामला दर्ज है।
इधर प्रकरण दर्ज, उधर विदेश रवाना
हाईकोर्ट ने जमानत आवेदन पर फैसला देते हुए कहा कि डॉ. भंडारी अपनी साख का इस्तेमाल कर साक्ष्यों और गवाहों को प्रभावित कर सकता है। अभी इस मामले में जांच पूरी नहीं हुई है। डॉ. भंडारी के खिलाफ जैसे ही प्रकरण दर्ज हुआ था वह तत्काल विदेश भाग गया था। इसके बाद जब निचली अदालत ने 16 जनवरी को अग्रिम जमानत दी, तब वह 21 जनवरी को भारत लौटा। कोर्ट ने इन सभी मुद्दों को ध्यान में रखते हुए डॉ. भंडारी की जमानत अर्जी खारिज कर दी।
आईटी एक्ट में भी आरोपी
एसटीएफ ने डॉ. भंडारी को 30 जनवरी 2014 को गिरफ्तार किया था। भादंवि की धारा 420, 467, 468, 471 एवं 120बी, मप्र मान्यता प्राप्त परीक्षा अधिनियम 1937 की धारा 3 (डी), 1, 2/4 के अलावा आईटी एक्ट की धारा 65 और 66 के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया है। निचली अदालत ने पांच फरवरी को भंडारी की पहली जमानत अर्जी खारिज की थी। भंडारी ने इसके बाद हाईकोर्ट ने जमानत के लिए आवेदन दायर किया था, जिसे बाद में वापस ले लिया था। निचली अदालत से 9 मई को जमानत आवेदन खारिज होने के बाद भंडारी ने नियमित जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
काम नहीं आई दलील
डॉ. भंडारी की ओर से जमानत का लाभ पाने दी गई कोई भी दलील काम नहीं आई। आरोपी की ओर से कहा गया कि जहां तक जांच का सवाल है तो उसके खिलाफ जांच पूरी हो गई है। जांच एजेंसी ने कोर्ट में चालान भी पेश कर दिया है और ऎसी स्थिति में आरोपी जमानत पाने का हकदार है। भंडारी की ओर से कहा गया कि वह अपना पासपोर्ट सरेंडर करने तैयार है ताकि कोर्ट को यह विश्वास दिला सके कि वह विदेश नहीं जाएगा। इसके अलावा आरोपी ने ट्रायल के दौरान हर दिन पुलिस थाने में हाजिर होने का भी आश्वासन दिया।
पीएससी पर्चा लीक करने वाले की अर्जी भी खारिज
हाईकोर्ट ने लोक सेवा आयोग की परीक्षा का पर्चा लीक करने के मामले में बनाए आरोपी सुखसागर द्विवेदी की जमानत अर्जी खारिज कर दी। द्विवेदी पर आरोप है कि उसने आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी परीक्षा का पेपर बनाया था और बाद में पैसे लेकर सुरेंद्र पटले को पर्चा लीक किया था। पीएससी द्वारा 18 मई 2014 को परीक्षा ली जानी थी। पर्चा लीक होने की खबर आने पर परीक्षा निरस्त कर दी गई। इंदौर निवासी द्विवेदी से पर्चा लेकर सुरेंद्र ने उसे कई अभ्यर्थियों को बेचा।
पुलिस द्वारा चालान पेश करने के बाद द्विवेदी ने नियमित जमानत के लिए आवेदन पेश किया था। चालान में यह बात साबित हुई कि पर्चा लीक करने में द्विवेदी की अहम भूमिका है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने पाया ऎसी स्थिति में पीएससी जैसी परीक्षाओं की साख खराब होती है। पर्चा लीक होने से परीक्षा निरस्त हो गई और कई योग्य छात्रों का अधिकार मारा गया। जस्टिस जीएस सोलंकी की एकलपीठ ने आरोपी को जमानत का लाभ देने से इनकार कर दिया। राज्य सरकार की ओर से उप महाधिवक्ता विजय शंकर पांडेय ने पैरवी की। - See more at: http://www.patrika.com/news/bhandaris-main-leaders-involved-in-fraud/1023312#sthash.y8szqtKm.dpuf