
मुंबई 26/11 हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा को पटियाला हाउस की स्पेशल एनआईए कोर्ट ने 18 दिनों की रिमांड पर भेजा है. रिमांड नोट में लिखा है कि साजिश की सीमा भारत से बाहर तक फैली है. कोर्ट ने कहा कि यह साजिश सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है. इसके तार अंतरराष्ट्रीय स्तर तक जुड़े हैं. कई शहरों को टारगेट किया गया था. इसमें भारत के कई शहरों सहित राष्ट्रीय राजधानी (दिल्ली) को निशाना बनाया गया. तहव्वुर राणा और उसके साथियों द्वारा की गई रेकी की जांच जरूरी है.
कोर्ट ने कहा कि तहव्वुर राणा को उन सबूतों से रूबरू कराना जरूरी है, जो उसके द्वारा की गई रेकी (जांच-पड़ताल) से जुड़े हैं. गवाहों, फॉरेंसिक और दस्तावेजी सबूतों से उसका सामना जरूरी है. कोर्ट ने कहा कि गवाहों और अन्य सबूतों के साथ उसका आमना-सामना कराना जरूरी है. गहराई से पूछताछ की जरूरत है. साजिश बहुत गहरी है. इसलिए तह तक पहुंचने के लिए पुलिस हिरासत में लगातार पूछताछ जरूरी है.
जांच एजेंसी को पूरा मौका मिले
कोर्ट ने कहा कि मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है. ये मामला भारत की सुरक्षा और संप्रभुता से जुड़ा है. जज ने कहा कि जांच एजेंसी को पूरा और निष्पक्ष मौका मिलना चाहिए. ताकि वो कोर्ट के सामने सभी तथ्यों को पेश कर सके. बता दें कि एनआईए ने उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जिन धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया है, उनमें मौत की सजा का भी प्रावधान है.
इन धाराओं में दर्ज है मामला
ऐसे में देश की न्यायपालिका उसे मृत्युदंड की सजा सुना सकती हैं. राणा के खिलाफ आईपीसी की धारा-120बी, 121, 121-A, 302, 468, 471 में मामला दर्ज है. इसके अलावा गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम-यूएपीए और आतकंवादी गतिविधियों के खिलाफ धारा 18 और 20 के तहत भी मामला दर्ज किया गया है.
राणा का दाऊद कनेक्शन!
बताया जा रहा है किएनआईए उसके फोन पर हुई बातचीत का रिकॉर्ड खंगाल रही है. इनमें से अधिकांश अन्य आरोपी डेविड हेडली के साथ हैं. जांचकर्ताओं को संदेह है कि इस बातचीत में दाऊद की संलिप्तता के भी संकेत हो सकते हैं.एनआईए का मानना है कि मुंबई हमलों की योजना 2005 से ही बनाई जा रही थी. राणा भी उस योजना का हिस्सा था.