पटना । गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा और दमन-दीव में ज़्यादा तबाही मचाने वाला ताउते तूफान अब चूंकि तकरीबन खत्म हो चुका है इसलिए कृषि जानकार मान रहे हैं कि बिहार में आम की पैदावार पर खास असर नहीं पड़ेगा। आशंका थी कि मई-जून महीने के दौरान आम का उत्पादन तूफान की वजह से होने वाली भारी बारिश की भेंट न चढ़ जाए लेकिन अच्छी खबर है कि जल्द ही भागलपुर के जर्दालू सहित कई बिहारी किस्मों के आम का ज़ायका मिलेगा और विदेश तक पहुंचेगा। आम के उत्पादन के मामले में उत्तर प्रदेश के ​बाद आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और बिहार का नंबर आता है। बिहार के सभी ज़िलों में आम का उत्पादन होता है, लेकिन उत्तर बिहार में आम की खेती ज्यादा है। दरभंगा, समस्तीपुर, पूर्वी चंपारण, भागलपुर के बाद मधुबनी, पूर्णिया, पश्चिमी चंपारण, कटिहार, रोहतास और भोजपुर में भी आम की उपज अच्छी होती है।  150.68 हजार हेक्टेयर जमीन में खेती से 1479.58 हजार टन आम का उत्पादन बिहार में होता है। बिहार में आम की उत्पादकता 9.8 टन प्रति हेक्टेयर है जो राष्ट्रीय औसत से थोड़ी ज़्यादा है। मालदह, जर्दालू, लंगड़ा, गुलाब खास, हेमसागर, अल्फांसो, आम्रपाली, बादशाह पसंद, रानीपसंद, फजुली, महमूद बहार, मल्लिका, मिठुआ, जर्दा, बंबइया, कृष्णभोग, दशहरी, गोपालभोग और सीपीया समेत आम की कई किस्में राज्य में पैदा की जाती हैं। भागलपुर का प्रसिद्ध जर्दालु जून के पहले हफ्ते से बाज़ारों में आएगा. इसकी लोकप्रियता इतनी है कि इसकी पेटियां राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों और आला अधिकारियों को बिहार से भेंट जाती हैं। अब जर्दालू की डिमांड विदेशों में भी बढ़ने लगी है। कोलकाता के व्यापारियों के ज़रिए जर्दालू, मालदह और गुलाब खास समेत आम की कई किस्में बांग्लादेश भेजी जाएंगी। इस बार भागलपुर, कहलगांव, सबौर, पीरपैंती, सुल्तानगंज, नाथनगर समेत कई जगहों पर आम की अच्छी पैदावार की संभावना है।