बिहार के पूर्णिया के एक लाख बच्चे 2 दिनों से स्कूल नहीं जा पा रहे हैं. इसकी वजह सरकार की ओर से आया एक फरमान है, जिसके बाद से ऑटो चालकों ने हड़ताल कर दी है. यहां जिले के सभी ऑटो और टोटो चालक हड़ताल पर चले गए हैं. दरअसल, बिहार सरकार का फरमान है कि बिहार में स्कूली बच्चों को स्कूल ले जाने में ऑटो और टोटो का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा, जिसके बाद से स्कूली बच्चों को स्कूल ले जाने वाले वाले ऑटो और टोटो की धरपकड़ शुरू हो गई है. इसी के विरोध में ऑटो और टोटो चालक हड़ताल पर हैं.

वहीं ऑटो चालक के हड़ताल पर चले जाने से सबसे ज्यादा परेशानी स्कूली बच्चों के परिजनों को हो रही है. अभिभावकों का कहना है कि वह लोग मिडिल क्लास फैमिली से आते हैं और कमाई भी सीमित है. परिजनों का कहना है कि एक तरफ 500 या 600 रुपये महीने में उनके बच्चे स्कूल आते-जाते थे. वहीं स्कूल बस वाले 1800 रुपये हर महीने चार्ज कर रहे हैं. ऐसे में उन्हें ज्यादा पैसे लगाने पड़ रहे हैं.

ऑटो-टोटो ड्राइवर की हड़ताल का समर्थन

ऑटो और टोटो ड्राइवर की हड़ताल का समर्थन प्राइवेट स्कूल चिल्ड्रेन एंड वेलफेयर एसोसिएशन ने भी किया है. प्राइवेट स्कूल संचालकों का कहना है कि स्कूल के पास भी सीमित संसाधन हैं. उतनी बस स्कूलों के पास भी नहीं है, जो इतनी बड़ी संख्या के बच्चों को रोजाना ला सकें. वे लोग बच्चों के भविष्य के साथ-साथ अभिभावकों के लिए भी चिंतित हैं.

दो दिन से स्कूल नहीं जा पा रहे 1 लाख बच्चे

ऐसे में ऑटो और टोटो चालकों की हड़ताल का खामियाजा मिडिल क्लास फैमिली के बच्चों को भुगतना पड़ रहा है. करीब एक लाख बच्चे जो ऑटो और टोटो से रोजाना स्कूल आते-जाते हैं. वह दो दिन से स्कूल नहीं जा पा रहे हैं, जिससे उनकी पढ़ाई पर असर पड़ रहा है. परिजनों का कहना है कि अगर पढ़ाई पर बोझ पड़ेगा तो गरीब बच्चें प्राइवेट स्कूलों में नहीं पढ़ पाएंगे. सरकार को इन ऑटो और टोटो को बंद करने से अच्छा है, नियम कानून बनाकर ऑटो और टोटो चालक को परमिट दे.