नई दिल्ली: कोच्चि वनडे में टीम इंडिया को करारी हार का सामना करना पड़ा। टीम इतनी बुरी तरह हारेगी इसका अंदाजा किसी को नहीं था।वेस्टइंडीज टीम में तूफानी क्रिस गेल और करिश्माई सुनील नरेन भी नहीं थे। बोर्ड और खिलाड़ियों के बीच तनातनी अलग थी। टीम के खिलाड़ियों का मनोबल भी टूटा हुआ था, लेकिन कोच्चि के मैदान में खेलने उतरी वेस्टइंडीज़ की टीम एकदम आत्मविश्वास से भरी दिखाई दी।
पहले बल्लेबाजी करते हुए वेस्टइंडीज ने 50 ओवरों में 321 रन का स्कोर बना दिया। मुश्किल हालात में बल्लेबाजी करते हुए विंडीज के बल्लेबाजों ने जोरदार प्रदर्शन किया और इसके बाद वेस्टइंडीज के गेंदबाजों के सामने भारतीय बल्लेबाजी ढह गई।
मैच विनर का अभाव
वेस्टइंडीज की जीत के हीरो रहे सैमुअल्स ने इस साल का महज तीसरा वनडे खेलते हुए दिनेश रामदीन के साथ बड़ी साझेदारी निभाकर टीम को विशाल स्कोर तक पहुंचाया। सैमुअल्स ने तेजी से रन भी बनाए और एक छोर से विकेट भी संभाले रखा जबकि भारतीय पारी में यही भूमिका कोई बल्लेबाज नहीं निभा सका। शिखर धवन जरूर क्रीज पर टिके, लेकिन वह टीम की पारी को जमाने में नाकाम रहे। अजिंक्य रहाणे के अलावा किसी दूसरे के साथ बड़ी साझेदारी भी नहीं निभा पाए।
भारत की लचर गेंदबाजी
वेस्टइंडीज के बल्लेबाज तूफानी स्कोर तक पहुंचने में कामयाब हुए तो इसकी सबसे बड़ी वजह भारतीय गेंदबाजों का लचर प्रदर्शन रहा। भुवनेश्वर कुमार ने काफी प्रभावी गेंदबाजी जरूर की लेकिन वह कोई विकेट नहीं झटक पाए। शमी ने चार विकेट लिए तो रन पर अंकुश नहीं लगा पाए। वहीं स्पिन गेंदबाज़ी में अमित मिश्रा और रविंदर जडेजा ने काफी निराश किया। घरेलू मैदान पर स्पिनरों की नाकामी ने टीम प्रबंधन की मुश्किल बढ़ा दी है।
ऑलराउंडरों का दम
भारतीय टीम में सुरेश रैना और अंबाति रायडू जैसे बल्लेबाज उपयोगी गेंदबाजी करते रहे हैं, लेकिन कप्तान धोनी इन दोनों का बेहतर इस्तेमाल नहीं कर पाए। जडेजा ऑलराउंडर के रोल में खेल तो रहे हैं, लेकिन विंडीज के ऑलराउंडरों की तुलना में वे मारक नहीं हैं। दूसरी ओर धाकड़ ऑलराउंडरों की मौजूदगी से विंडीज की टीम काफी दमदार नजर आ रही है। ड्वेन ब्रावो, ड्वेन स्मिथ, सैमुअल्स और डैरेन सैमी जैसे ऑलराउंडरों की मौजूदगी से विंडीज का पलड़ा भारी दिख रहा है।
बल्लेबाज़ों की नाकामी
कोच्चि वनडे में हार की सबसे बड़ी वजह बल्लेबाजों की नाकामी रही। हाल के दिनों में भारतीय टीम 300 से ज्यादा रनों का पीछा सफलतापूर्वक करती रही ह, लेकिन मिडिल ऑर्डर में विराट कोहली और सुरेश रैना की नाकामी ने टीम पर दबाव बढ़ा दिया है। अजिंक्य रहाणे और शिखर धवन को भी लंबी पारी खेलने पर ध्यान देना होगा जबकि अंबाति रायडू के सामने मौका है कि वह टीम में अपनी जगह सुनिश्चित कर सकें। अगर भारतीय बल्लेबाजी की नाकामी का सिलसिला जारी रहा तो फिर सीरीज में वापसी आसान नहीं होगी।
कोच्चि में करारी हार से भारतीय टीम को मिला सबक
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