रानीपुर टाइगर रिजर्व क्षेत्र में तुलसी जल प्रपात पर बने प्रदेश के पहले ग्लास स्काई वॉक ब्रिज की गुणवत्ता की पोल उसके उद्घाटन से पहले खुल गई है। मानसून की पहली बारिश होते ही ब्रिज के रैंप की फर्श में दरारें आ गईं। विपक्षी दल इसको लेकर सरकार पर तंज कस रहे हैं। हालांकि, वन विभाग अपना बचाव करता दिख रहा है। प्रभागीय वनाधिकारी (डीएफओ) का कहना है कि अभी ठेकेदार काम कर रहा है। पुल को हैंडओवर नहीं किया गया है।
पर्यटन विभाग व वन विभाग ने मिलकर 3.70 करोड़ रुपये की लागत से स्काई वॉक ग्लास ब्रिज का निर्माण कराया है। ब्रिज के साथ टिकट विंडो, चबूतरे और सौंदर्यीकरण के काम भी शामिल हैं। पवनसुत कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी निर्माण कर रही है। अभी पुल लोगों के लिए खोला नहीं गया है।
मिट्टी धंसने से आई दरारें
मारकुंडी के वन क्षेत्राधिकारी नदीम रिजवी ने बताया कि ब्रिज बन चुका है। अभी फिनशिंग का काम चल रहा है। ठेकेदार ने पुल में निकास और प्रवेश द्वार बनाया है। उसी में एक खाई होने पर मिट्टी डालकर फर्श बनाई थी। दो दिनों से वर्षा के चलते रैंप के पास मिट्टी धंसने से दरार आ गई है। गुरुवार को डीएफओ डॉ. नरेंद्र सिंह ने ब्रिज का निरीक्षण करके बताया कि पुल में कोई गड़बड़ी नहीं है।
सपा ने लगाया बजट में बंटरबांट होने का आरोप
प्रवेश द्वार में बनाई गई सीढ़ी की फर्श में डाली गई मिट्टी धंसने से दरारें हैं। हालांकि, जो-जो कमियां है उसकी रिपोर्ट तैयार करके आला अधिकारियों के साथ निर्माण कंपनी पवनसुत को भी भेजा गया है। वहीं, सदर से सपा विधायक अनिल प्रधान ने आरोप लगाया कि क्षेत्र के पर्यटन विकास के लिए आए बजट का बंदरबांट हो रहा है।