कुआलालंपुर| केन्या में टैक्सी ड्राइवर जॉन ओमोंडी को पिछले महीने जब कोविड-19 वैक्सीन का पहला डोज लगा तो उन्होंने खुद को भाग्यशाली माना। लेकिन अब भारत की ओर से टीकों के निर्यात पर अस्थायी रोक लगाए जाने के बाद वह नहीं जानते कि दूसरी डोज उन्हें मिल पाएगी या नहीं। भारत के ताजा फैसले से ओमोंडी की तरह दुनिया के करोड़ों गरीबों की उम्मीदों को बड़ा झटका लगा है।

केन्या की राजधानी नैरोबी में टैक्सी चलाने वाले 59 साल के ओमोंडी ने कहा, ''वह बहुत अच्छा दिन था जब मुझे वैक्सीन मिली। मुझे मेरे उम्र और काम को देखते हुए इसकी बहुत जरूरत थी। मुझे जून में दूसरी डोज मिलने वाली थी, लेकिन अब यहां वैक्सीन नहीं है और मुझे चिंता है कि मैं कम सुरक्षित हूं। वैक्सीन के बिना लगता है जैसे हम मौत का इंतजार कर रहे हैं।'' 

केन्या उन दर्जनों विकासशील देशों में शामिल है, जिन्हें दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन उत्पादक भारत की ओर से टीकों के निर्यात पर रोक लगाए जाने से झटका लगा है। 5 करोड़ की आबादी वाली पूर्वी अफ्रीकी देश को कोवाक्स प्रोग्राम के तहत सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) की ओर से उत्पादित कोविशील्ड के 10 लाख टीके मिले थे। लेकिन भारत की ओर से निर्यात रोकने का मतलब है कि 30 लाख डोज की दूसरी खेप जो जून में मिलने वाली थी, वह शायद ना मिले। 


केन्या के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, ''यदि हमारे पास टीके होते तो हमने दूसरा फेज शुरू कर दिया होता, जमीन पर सच्चाई यह है कि हमारे पास टीके नहीं है, जब हमें इसकी उम्मीद थी। हमें आशा है कि जल्द ही भारत में स्थिति सामान्य होगी, लेकिन हम फाइजर और जॉनसन एंड जॉनसन से भी वैक्सीन हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं।''

केन्या से घाना तक और बांग्लादेश से इंडोनेशिया तक गरीब देश कोवाक्स प्रोग्राम पर निर्भर। इन देशों के सामने अब टीकाकरण अभियान को रोकने के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं है। कोवाक्स के सबसे बड़े निर्यातक SII ने मार्च में निर्यात को स्थगित कर दिया और भारतीय अधिकारियों को कहना है कि कम से कम अक्टूबर से पहले इसके दोबारा शुरू होने की संभावना नहीं है। 


यूनिसेफ के मुताबिक, जून तक दुनिया में 19 करोड़ डोज की कमी होगी। इस अभाव से गरीब देश और भी पीछे छूट जाएंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि वैक्सीन असमानता से महामारी को रोकने के प्रयास और जटिल होंगे। यूनिसेफ की एग्जीक्युटिव डायरेक्टर हेनरिट्टा फोरे ने कहा, ''हम इस बात को लेकर चिंतित हैं कि यदि भारत की तरह केस बढ़े तो क्या होगा। नेपाल, श्रीलंका, मालदीव, अर्जेंटीना और ब्राजील जैसे देशों में केस तेजी से बढ़ रहे हैं और स्वास्थ्य ढांचा छोटा पड़ रहा है।'' इंडोनेशिया, फिलिपींस, वियतनाम, साउथ कोरिया जैसे एशियाई देश भी भारत से टीकों की आपूर्ति में देरी से प्रभावित होंगे।