बगदाद। इस्लामिक स्टेट के आतंकियों से जूझ रहे इराक में नेतृत्व का संकट सुलझता दिख रहा है। एक नाटकीय घटनाक्रम में इराक की सत्ता में बदलाव हो गया। राष्ट्रपति फोआद मासोम ने संसद के उप सभापति हैदर अल अबादी को सरकार गठन का न्योता दिया है। दूसरी ओर मलिकी के समर्थक धड़े ने इस फैसले को चुनौती देने की बात कही है।
राजनीतिक संकट से जूझ रहे इराक के लिए सोमवार का दिन भारी उठापटक वाला रहा। इराक की एक उच्च अदालत ने एक मामले की सुनवाई करते हुए निवर्तमान प्रधानमंत्री नूरी अल मलिकी के पक्ष में फैसला दिया था। अदालत ने कहा कि मलिकी का दल संसद का सबसे बड़ा दल है और इस आधार पर उसे सरकार बनाने से वंचित नहीं किया जा सकता।
अदालत के फैसले के बाद सबकी निगाहें नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मासोम पर टिकी थीं। शाम तक राष्ट्रपति ने हैदर को प्रधानमंत्री पद का न्योता देकर उन्हें 30 दिन में सरकार गठन का निर्देश दे दिया। देश के प्रमुख शिया नेताओं के गुट ने संसद के उप सभापति हैदर अल अबादी को प्रधानमंत्री पद के लिए नामित किया था। हैदर के नामांकन पर प्रतिक्रिया देते हुए मलिकी के समर्थकों ने कहा कि वे इस फैसले पर चुप नहीं बैठेंगे। मलिकी के दामाद हुसैन अल मलिकी ने कहा कि नामांकन अवैध है और संविधान का उल्लंघन है। हम इसके खिलाफ संघीय अदालत जाएंगे। दूसरी ओर नामांकन के तुरंत बाद अबादी ने सभी इराकी नागरिकों से आइएस के आतंकियों के खिलाफ मिलकर लड़ने का आह्वान किया।