
नई दिल्ली । कोरोना वायरस महामारी से जंग जीतने के लिए युद्ध स्तर पर शोध किए जा रहे हैं। वहीं, वायरस भी अपना रूप बदलकर और जानलेवा होता जा रहा है। ऐसे में अब कोविड-19 की वैक्सीन को कोरोना के कई वैरिएंट पर परखा जा रहा है। इस बीच, भारत बायोटेक ने रविवार को दावा किया है कि उनकी कोविड वैक्सीन भारत और ब्रिटेन समेत सभी कोरोना वैरिएंट पर असरदार है। कंपनी ने कहा कि कोवैक्सिन बी.1.617 और बी.1.1.7 पर भी असरदार है, जो भारत और यूनाइटेड किंगडम में पाए गए थे। भारत बायोटेक ने बताया कि वैक्सीन के इस्तेमाल पर बी.1.1.7 (यूके स्ट्रेन) और वैक्सीन स्ट्रेन (डी614जी) के न्यूट्रिलाइजेशन में कोई बदलाव नहीं देखा गया है।
इससे पहले, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के वैज्ञानिकों ने अपने शोध की अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट्स में जानकारी दी है कि भारतीय वैक्सीन कोविशील्ड और कोवैक्सिन कोरोना वायरस के बी.1.617 वैरिएंट के खिलाफ कुछ ही एंटीबॉडी तैयार कर पा रही हैं, लेकिन ये वैक्सीन कोरोना के अन्य वैरिएंट पर भी प्रभावी हैं। कोरोना वायरस का बी.1.617 वैरिएंट पहली बार महाराष्ट्र में पाया गया था। आईसीएमआर और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) के वैज्ञानिक कोरोना पॉजिटिव मरीजों के सैंपल एकत्र कर रहे थे। इसके बाद उन्होंने इन सैंपल को जनवरी से लेकर अब तक कोरोना वायरस के विभिन्न वैरिएंट बी.1.1।7 (ब्रिटेन), बी.1.351 (दक्षिण अफ्रीका), पी 2 वैरिएंट (ब्राजील) और बी.1.617 वैरिएंट पर जांचा। इस समय भारत में बी.1.617 वैरिएंट बड़ी संख्या में बढ़ता दिख रहा है।
पूरी दुनिया में वैक्सीन ट्रायल पर सामने आईं रिपोर्ट से जानकारी मिलती है कि वायरस में हो रहे विभिन्न म्यूटेशन उसे शरीर में इम्यून सिस्टम और एंटीबॉडी से बच निकलने में मदद करते हैं। कई लैब इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या वैक्सीन विभिन्न वैरिएंट पर प्रभावी हैं या नहीं। एनआईवी के वैज्ञानिकों ने कोवैक्सिन की दो डोज ले चुके लोगों के खून के सीरम से निकाले गए एंटीबॉडी पर कोरोना वायरस के बी.1.617 म्यूटेशन के साथ टेस्ट किया। उनमें बी.1 के खिलाफ उत्पन्न एंटीबॉडी की तुलना में लगभग 55 फीसदी कम एंटीबॉडी पाई गईं। कोविशील्ड के मामले में, बी.1.617 के लिए एंटीबॉडी का स्तर 21.9 फीसदी था, जबकि बी.1 वैरिएंट के लिए यह 42.92 फीसदी था।